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तानाशाह का नया फ़रमान

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तानाशाह ने तय किया है कि वह
अब अपनी जनता ख़ुद चुनेगा !
तानाशाह चाहता है कि मुल्क में
सिर्फ़ झुकी नज़रों और झुकी पीठ वाले
लोग ही बचे रहें उसका जैकारा बोलते हुए !
तानाशाह अपने कारकूनों को
समूची जनता का रजिस्टर तैयार करने के लिए
कहता है ताकि रोज़
उनकी हाजिरी ली जा सके !

तानाशाह आदेश देता है कि
जिनकी वफ़ादारी संदिग्ध है उन्हें
जहाज़ों में बैठाकर समंदर में छोड़ दिया जाए
या फिर नज़रबंदी शिविरों में डाल दिया जाए !
तानाशाह आसपास के देशों से
वफ़ादार जनता के आयात के लिए
फ़रमान जारी करता है !

बौखलाए हुए मजबूर लोग फिर भी जब
सड़कों पर उतरते रहते हैं
तो तानाशाह देश की रक्षा के लिए
जनता के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर देता है !
आवाज़ों को कुचलने के बाद तानाशाह
लोगों की चुप्पी से डर जाता है !
लोगों की चुप्पी में उसे अपनी मौत की
अनुगूंंजें सुनाई देने लगती हैं !

तानाशाह सोते हुए बच्चों तक पर
शक़ करता है कि न जाने वे क्या
सपना देख रहे हैं !
वह उनके सपनों की जासूसी के लिए
उनकी नींद में उतर जाना चाहता है !

तानाशाह के सपने में रोज़
सांंय-सांंय करता एक वीरान क़ब्रिस्तान
आता है जहाँ अपनी क़ब्रों से उठकर
इतिहास के तमाम तानाशाह उसके पास आते हैं
प्यार से उसकी पीठ सहलाते हैं
और बताते हैं कि उन्होंने भी उसीकी तरह
सोचा था और वही किया था
जो वह कर रहा है !

  • कविता कृष्णपल्लवी

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