आदमी
आदमी बुन लेता है सपने बना लेता है घरौंदा तोड़ देता है कई दिवारें बनाते हुए अपने इर्द-गिर्द कई दिवारें प्यार करता है धोखा खाता है फिर से प्यार करता है और अंत तक ज़िंदा रहने की जुगत में रहता है चाहे इसके लिए उसे अपने पिछले प्रेम में जफ़ा ही क्यों न ढूंढना पड़े आदमी झूठ के सहारे ही …