लिबरल होने के मायने
गुटनिरपेक्षता/तटस्थता की तरह उदार मानसिकता वाला आदमी भी अब लुप्त हो जाने वाली प्रजाति की तरह क्या अजायब घर की शोभा बनने जा रहा है ? देश ही नहीं पूरे विश्व के राजनीतिक रंगमंच पर तो उसकी कोई भूमिका तो निश्चय ही दिखाई नहीं देती. इतिहास की किताबों में ही दर्ज है वह अब तो. अपनी नियति इन दोनों ने …