जब संविधान के बनाए मंदिरों को तोड़ना ही था तो आज़ादी के लिए डेढ़ सौ साल का संघर्ष क्यों किया ?
जब भारत की जनता गहरी नींद में सो रही थी, तब दिल्ली पुलिस के जवान अपने जूते की लेस बांध रहे थे. बेख़बर जनता को होश ही नहीं रहा कि पुलिस के जवानों के जूते सीबीआई मुख्यालय के बाहर तैनात होते हुए शोर मचा रहे हैं. लोकतंत्र को कुचलने में जूतों का बहुत योगदान है. जब संविधान की धज्जियां उड़ती …