‘अंध-धार्मिकता’ एक मनोवैज्ञानिक बीमारी
अंध-धार्मिकता 21वीं सदी के लोकतांत्रिक मानव समाज पर एक महामारी की तरह टुट पड़ा है. ऐसे अंध-धार्मिक लोग अपनी थोथी धार्मिक बकबास के लिए न केवल दूसरों का ही जीवन समाप्त कर देते हैं, बल्कि खुद का भी जीवन समाप्त करने में यकीन करते हैं. आज इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ही कहा जा सकता है, जब ऐसे ही अंध-धार्मिक लोग …