'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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क्या इसमें कुछ तथ्यात्मक गलतियां है ?

कई लोग जो मोदी का विरोध करते हैं नेहरू को इतना याद करते हैं कि लगता है जैसे मोदी से पहले नेहरू ही प्रधानमंत्री थे. मोदी की तानाशाही के विरोध में कभी इंदिरा गांधी या राजीव गांधी का नाम नहीं लेते हैं. आख़िर क्यों ? उसकी वजह ये है कि नेहरू के बाद भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र …

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