काना शहर
सूरज के पार काना हो जाता है मेरा शहर रोशनी के लट्टुओं के दिन लद गए हैं अब बित्ते भर की दांत चियारी में जगमगा उठता है काने का पुरुषार्थ बेबस लड़कियां फिसलन से बचती हुई घरों की तलाश में मशगूल हैं जहां पर एक काना कोने में शील भंग की अनंत संभावनाएं कुकुर कुंडली मारे जाड़े से लड़ने की …