उठी हुई अंगुली
शब्दों के बिस्फोट से ही जन्मा था ब्रह्मांड लाखों वर्षों से चलती आ रही हैं यात्राएं शब्दों की दुनिया की सुंदरता और ध्वंस के खेल शब्दों में ही थे, सृष्टि और संहार भी… सब चाहते थे नियंत्रण इन शब्दों पर ही… शब्दों की साधना की गयी शब्दों को किसी ने कोड़े से पीटा जेल में डाल दिया, विष दिये, आग …