बम का दर्शन
[ 23 दिसम्बर, 1929 को क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के स्तम्भ वायसराय की गाड़ी को उड़ाने का प्रयास किया, जो असफल रहा. गांधीजी ने इस घटना पर एक कटुतापूर्ण लेख ‘बम की पूजा’ लिखा, जिसमें उन्होंने वायसराय को देश का शुभचिन्तक और नवयुवकों को आज़ादी के रास्ते में रोड़ा अटकाने वाले कहा. इसी के जवाब में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन …