'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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बैंकों का निजीकरण यानि भ्रष्टाचार की खूली छूट

गिरीश मालवीय : पिछले साल सरकारी बैंकों का निजीकरण की वकालत बड़े जोर-शोर से की जा रही थी. खासकर जब पीएनबी घोटाला सामने आया तो फिक्की, एसोचैम जैसे बड़े व्यापारिक संगठन इस मांग को जोरदार ढंग से उठा रहे थे. इसमें उनका साथ अरविंद पनगढ़िया जैसे अर्थशास्त्री खुलकर दे रहे थे. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल सरकारी बैंकों …

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