'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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संवेदनशील राजा

एक राजा अपनी प्रजा की हर आंख का हर आंसू पोंछना चाहता था. इरादा बहुत नेक था, इसलिए इसे फौरन लागू करना जरूरी था. उसने यह संकल्प लिया तो पता चला कि आंसू तो उसकी आंखों से भी लगातार बहते रहते हैं. पहले उसे अपने आंसू पोंछने होंगे. तभी वह प्रजा की आंखों के आंसू पोंछने का अधिकारी बन सकता …

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