'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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यहां उजालों के अंधेरे हैं

ग्रीन रूम में मसखरा उतार रहा है चेहरे का रंग रोगन लाल लाल होंठों और नाक के नीचे से उभर रही है एक उथली हुई बदबूदार लाश गिद्ध की आंखों का मोतियाबिंद उसे घ्राण के सहारे जीने को बाध्य करता है मसखरा सूंघ लेता है लाश और ढाल लेता है लाशों को टकसाल में आख़िर खून में व्यापार है कुछ …

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