'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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भात दे हरामजादे

भात दे हरामजादे बहुत भूखा हूँ पेट के भीतर लगी है आग, शरीर की समस्त क्रियायों से ऊपर अनुभूत हो रही है हर क्षण सर्वग्रासी भूख अनावृष्टि जिस तरह चैत के खेतों में फैलाती है तपन उसी तरह भूख की ज्वाला से जल रही है देह दोनों शाम दो मुट्ठी मिले भात तो और माँग नहीं है; लोग तो बहुत …

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