'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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प्रभा खेतान का स्त्रीवादी साहित्य सौंदर्य

कोलकाता की स्त्रीवादी इमेज का आईना है प्रभा खेतान का लेखन. वे जितनी सहृदय और सुसंस्कृत थी, उतनी ही बेहतरीन व्यापारी भी थी. साधारण स्त्री जीवन से आरंभ करके उन्होंने असाधारण स्त्री क्षमता का विकास किया था और इसे उन्होंने ‘अन्या से अनन्या’ नामक आत्मकथा में लिपिबद्ध किया है. उनकी आत्मकथा का मूल स्वर स्त्रीवादी है. स्त्रीवाद का लक्ष्य आत्मसंतोष …

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