पार्टी का संगठनात्मक ढांचा मोदी के सामने सिर के बल खड़ा है
“एक बार जब किसी सरकार का सुप्रीमो मतदाताओं के मन-मस्तिष्क पर सीधी पकड़ स्थापित कर लेता है, तो मतदाताओं के सामने बाकी के मुद्दे महत्वहीन हो जाते हैं.” कांग्रेस से भिन्न भाजपा में कभी जीवंत संसदीय कार्यकारी कमेटी और परिषदें अपने सदस्यों-कार्यकर्ताओं के निर्णयों को सरकार के सुप्रीमों (मुखिया) तक पहुंचाने के बजाय उसकी ‘हां’ में ‘हां’ मिलाने और …