'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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आदमी

आदमी बुन लेता है सपने बना लेता है घरौंदा तोड़ देता है कई दिवारें बनाते हुए अपने इर्द-गिर्द कई दिवारें प्यार करता है धोखा खाता है फिर से प्यार करता है और अंत तक ज़िंदा रहने की जुगत में रहता है चाहे इसके लिए उसे अपने पिछले प्रेम में जफ़ा ही क्यों न ढूंढना पड़े आदमी झूठ के सहारे ही …

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