'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लिबरल होने के मायने

गुटनिरपेक्षता/तटस्थता की तरह उदार मानसिकता वाला आदमी भी अब लुप्त हो जाने वाली प्रजाति की तरह क्या अजायब घर की शोभा बनने जा रहा है ? देश ही नहीं पूरे विश्व के राजनीतिक रंगमंच पर तो उसकी कोई भूमिका तो निश्चय ही दिखाई नहीं देती. इतिहास की किताबों में ही दर्ज है वह अब तो. अपनी नियति इन दोनों ने …

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