यहां उजालों के अंधेरे हैं
ग्रीन रूम में मसखरा उतार रहा है चेहरे का रंग रोगन लाल लाल होंठों और नाक के नीचे से उभर रही है एक उथली हुई बदबूदार लाश गिद्ध की आंखों का मोतियाबिंद उसे घ्राण के सहारे जीने को बाध्य करता है मसखरा सूंघ लेता है लाश और ढाल लेता है लाशों को टकसाल में आख़िर खून में व्यापार है कुछ …