‘‘आम जनता को स्वास्थ्य की उचित सुविधा मुहैय्या करना सरकार की जबावदेही है’’, यह मानना है दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का. इसके साथ ही दिल्ली सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए जहां दिन-रात एक कर नये-नये तरीके अपना रही है, वहीं दिल्ली में उप-राज्यपाल की कुर्सी पर विराजमान भाजपा की दलाली करने में मशगुल अनिल बैजल तिकड़मी चाल चलते हुए आम आदमी को प्रदान की जा रही बेहतर स्वास्थ्य सेवा को नकाराने के लिए दिन-रात एक कर रही है.
आम आदमी पार्टी की सरकार आम जनता को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठा रही है जिसमें एक प्रमुख है – मुहल्ला क्लीनिक . इसके तहत् दिल्ली सरकार पूरे दिल्ली के हर मुहल्ले में एक डाॅक्टर के साथ सभी प्रकार की मुफ्त जांच और मुफ्त दवाई सहित पूरी सुविधा से लैस मुहल्ला क्लीनिक का निर्माण करा रही है, जिसमें हर तबके के लोग बिल्कुल मुफ्त में अपना इलाज करा रहे हैं और स्वास्थ्य लाभ हासिल कर रहे हैं.
एक ओर जहां मुहल्ला क्लीनिक जहां आम आदमी के खुशहाल स्वास्थ के में एक संजीवनी बन कर सामने आई है, वहीं भाजपा और कांग्रेस मिलकर इस कार्यक्रम को बंद करने के लिए एक से बढ़कर एक हथकंडे अपना रहे हैं. जब से दिल्ली उच्च न्यायलय का पागलपन भरा निर्णय आया है कि दिल्ली का बाॅस उप-राज्यपाल जैसी गैर-चुनी संस्था है, जिसे जबरन आम जनता के मतों के द्वारा चुनी गई सरकार के ऊपर थोप दिया गया है, तबसे केन्द्र की भाजपा सरकार अपने चमचे उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली सरकार के हरेक मामले में अड़ंगा डाल रही है.
दिल्ली की दो करोड़ आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खुल्लमखुल्ला खिलवाड़ करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कांग्रेस के हारे हुए उम्मीदवार अजय माकन के एक बहियात याचिका का हवाला देते हुए मुहल्ला क्लीनिक की फायल को दबा कर बैठ गये हैं.
जब आम आदमी पार्टी की ओर से विधायक सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में 40 से अधिक विधायक उपराज्यपाल से मुहल्ला क्लीनिक के सवाल पर मिलने पहुंचे तो उपराज्यपाल ने पुलिस को बुला लिया. ये विधायक जहां बैठे हुए थे वहां की बिजली काट दी गई. इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि भाजपा देश की सत्ता प्रतिष्ठान पर विराजमान होकर देश की जनता की बुनियादी सुविधाओं को बंद कर केवल बयानबाजी करने में विश्वास रखती है और उस काम को न तो खुद करना चाहती है और न ही किसी को करने ही देना चाहती है.
भाजपा शासित राज्यों में लोगों के स्वास्थ्य सेवाओं की धज्जियां उड़ाते हुए छोटे-छोटे बच्चे तक को मौत के मुंह में धकेल रही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में निजी कम्पनियों के साथ सांठ-गांठ कर आॅक्सीजन सफ्लाई बंद कर 68 से ज्यादा बच्चों को मौत के मूंह में धकेलनेवाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के शासनकाल में सैकड़ों की तादाद में बच्चे मौत की मूंह में चले गये. इस पर भी भाजपा की योगी सरकार को कोई फर्क महूसूस नहीं होता.
दरअसल लोगों की लाश पर अपनी राजनीति की रोटी सेंकने वाली केन्द्र की भाजपा सरकार जहां निजी काॅरपोरेट घराने अंबानी-अदानी के चरणों में नत-मस्तक है, वहीं भाजपा शासित राज्यों सहित देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की धज्जियां उड़ाते हुए बदहाली का हवाला देकर दरअसल पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को ही निजी कम्पनियों के हाथों में बेचना चाह रही है. भाजपा की योगी सरकार का यह निर्लज्ज बयान इस बात की पुष्ठि करता है, ‘‘कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें, सरकार उनका पालन-पालन करें.’’ जबकि संविधान में साफ तौर पर लिखा है कि लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवायें देना सरकार की जिम्मेवारी है.
यही बुनियादी अन्तर है देश में एक साथ काम कर रही दो सत्ता प्रतिष्ठान की. जनता के हित में काम कर रही आम आदमी पार्टी की छोटी सी दिल्ली सरकार जहां आम जनता के स्वास्थ्य खातिर निकम्मा-दलाल उपराज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में धरने पर बैठा है, वहीं देश की जनता को रोज बेवकूफ बना कर उसे मौत के मूंह में धकेलकर अपनी जिम्मेवारियों को धता बताकर निजी कम्पनियों के हित में काम करने वाली केन्द्र और विभिन्न राज्यों में शासन कर रही भाजपा की सरकार में.
cours de theatre
September 30, 2017 at 1:03 am
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