भारतीय संविधान के चार तथाकथित स्तम्भों में न्यायपालिका भी एक स्तम्भ है, जिसके प्रमुख नियंत्रण संस्थान सुप्रीम कोर्ट है. जैसा कि हम सब जानते हैं, यह सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर इतना ज्यादा मंहगा होता है कि देश के आम जन इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता. दो जून की रोटी को मोहताज देशवासी के लिए यह सुप्रीम कोर्ट एक विलासिता की चीज के अलावा और कुछ नहीं है. जब देश की आधी जनसंख्या भूख जैसी चुनोतियों से हर दिन जूझ रही हो तब ऐसी विलासिता (सुप्रीम कोर्ट) देशवासियों के साथ एक भद्दा मजाक है. फिर क्यों नहीं इस सुप्रीम विलासिता को बंद कर दिया जाये ?
इस सुप्रीम विलासिता की जरूरत किसे है ?
सुप्रीम कोर्ट अब ‘न्याय’ और ‘संविधान’ की व्याख्या के नाम पर अपराधियों, व्यभिचारियों, बलात्कारियों, हत्यारों का संरक्षक बन गया है. यह अब देश के करोड़ों दुखी और देश की जेलों में सालों से बंद लोगों की आखिरी उम्मीद नहीं है, बल्कि उसे जेल में ही खत्म कर देने का खूंख्वार औजार बन गया है, ऐसे में टैक्स पेयर के सैकड़ों करोड़ रुपयों को फूंकने का कोई मतलब नहीं रह गया है. इसके साथ ही देश की जनता और औरतों पर जुल्म ढ़ाने वालों की हिफाजत करना भी देश की दु:खी जनता के साथ भद्दा मजाक है.
केन्द्र की मोदी सरकार के सत्ता में आने के साथ ही तकरीबन हर संस्थान अपना संवैधानिक मूल्य खोकर मोदी सरकार की असंवैधानिक कामों का समर्थक बन गया है. ऐसे में पहले से ही बदनाम कार्यपालिका (पुलिस-प्रशासन) लोगों के निशाने पर है, जिसे देश की आम जनता सैकड़ों-हजारों की तादाद में मौत के घाट उतारती आ रही है, थाने फूंके जा रहे हैं. व्यवस्थापिका (विधायिका) के लोग भी मौत के घाट उतारे जा रहे हैं, ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि न्यायपालिका खासकर सुप्रीम कोर्ट के जज भी अपने भ्रष्ट आचरण से देश की जनता को इतना दु:खी कर दे कि वह भी इन जजों को मौत की घाट उतारने लगे. यह दुर्दिन आये इससे पहले ही न्याय का मजाक बनाते और लोगों के दु:खों का कारण बनते भारत के सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए.
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट
जैसा कि हम सब जानते हैं, भारत जैसा विशाल देश पाकिस्तान के सामने थरथर कांपता है. पाकिस्तान कभी टिड्डी दल छोड़कर देश को तबाह कर डालता है तो कभी कबूतर छोड़कर देश की जासूसी करने लगता है. हालत यहां तक हो गई है कि अगर देश में कोई सांप काटने से भी मर जाता है तो हम उस सांप को पाकिस्तानी ऐजेंट करार देने में देर नहीं करते. गजब का देश है पाकिस्तान, जिसके एक इशारे पर भारत जैसे देश में तबाही मच जाता है और मीडिया-सरकार महीनों चीखते रहता है, रोता और कलपता रहता है.
ऐसे में हमें पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का नजारा जरुर देखना चाहिए, जिसे सामने हमारा सुप्रीम कोर्ट और उसके जज एक टिड्डा या पिस्सू से ज्यादा का अहमियत नहीं रखता. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस ने जहां सरकार की चूलें हिला दी थी, वहीं हमारे देश की सुप्रीम कोर्ट सरकार का पालतू कुत्ता बनना ज्यादा पसंद किया. यहां तक कि सरकार ने अपने पालतू कुत्ते सुप्रीम कोर्ट के जजों के गले में पट्टा पहनाकर अपने आंगन (राज्य सभा) में घुमाने भी लगा. पट्टे पहनने की इस खुशी में कुत्ता बना यह जज नाचने भी लगा.
परन्तु पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया. उसने न केवल कुत्ता बनने और पट्टा पहनने से इंकार कर दिया, उल्टे सरकार की चूलें हिला दी और उसके नाक में नकेल कस दी. आइये, देखते हैं महाबली पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्या किया.
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में आखिर क्या हुआ ?
बात वर्ष 2007 की है. पाक सुप्रीम कोर्ट के 20वें मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने पाकिस्तान में भ्रष्टाचार और कमजोर प्रशासन को लेकर कई बार सरकार को फटकार लगा चुके थे. उसी दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने के बाद 9 मार्च, 2007 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश इफ्तिखार चौधरी से इस्तीफे की मांग की थी. चौधरी ने न सिर्फ राष्ट्रपति की मांग पर इस्तीफा देने से इनकार कर दिया बल्कि इसके खिलाफ आवाज भी उठा दी.
पाकिस्तान की आवाम इफ्तिखार चौधरी के ईमानदारी की मुरीद थी. लोगों में इस बात का गुस्सा था कि सरकार चौधरी पर गलत व्यवहार और पद के दुरुपयोग का आरोप लगा कर इस्तीफा मांग रही है. सरकार के खिलाफ लोगों ने आंदोलन छेड़ दिया. उस वक्त पाकिस्तानी मीडिया ने इसे लोकतंत्र बचाने की मुहिम नाम दिया था.
चौधरी ने जब इस्तीफा देने से मना किया तो परवेज मुशर्रफ ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. देश के मुख्य न्यायधीश के निलंबन के खिलाफ लाहौर बार एसोसिएशन और वकील भी उनके समर्थन में आ गए. पाकिस्तान के कई हिस्सों में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प हुई. वकीलों ने इस निलंबन को कानून का उल्लंघन बताया. पूरे पाकिस्तान में अदालतों का बहिष्कार हो गया, जिसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ गया.
लंबी लड़ाई लड़ने के बाद शानदार जीत के साथ सुप्रीम कोर्ट लौटे पाकिस्तान के चीफ जस्टिस इफ्तिखार एम. चौधरी का वकीलों और अन्य कर्मचारियों ने बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया. जैसे ही उनकी कार उन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट परिसर के प्रवेश द्वार पर पहुंची भीड़ ने उनके समर्थन में नारे लगाए और उनकी सरकारी कार पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं. इतना ही नहीं अदालत कक्ष में भी लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाते हुए उनका स्वागत किया. तो ये थी एक ऐतिहासिक घटना, जिसमेें पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मूूंंह की खिला दी.
भारत की सुप्रीम कोर्ट बनी सरकारी सुपारी किलर
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट से इतर भारत की सुप्रीम कोर्ट सरकार के इशारे पर पालतू कुत्ता बन गई. जब इससे भी मन नहीं भरा तो बकायदा अपने गले में कुत्ते का पट्टा पहनकर सरकार के आंगन (राज्य सभा) में पूछ हिलाते हुए पहुंच गया. और आज भारत के सुप्रीम कोर्ट की यह हालत हो गई है कि अब वह बकायदा सरकारी इशारे पर किसी भी विरोधियों को काटने दौड़ जाती है. दूसरे शब्दों में कहा जाये तो आज वह सुपारी किलर बन गई है, जो सरकार के विरोधियों को एक-एक कर ठिकाने लगा रही है. ताज्जुब तो यह है कि यह सब वह ‘लोकतंत्र’ के नाम पर कर रही है, जहां कोई भी लोकतांत्रिक मूल्य तो छोड़िये मानवीय मूल्य तक नहीं बचा है.