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राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की तीखी निंदा

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राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की तीखी निंदा
राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की तीखी निंदा

सीएएसआर यानि कैंपेन एगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन ने एटीएस द्वारा की गयी राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. एक संयुक्त बयान में संगठन ने कहा कि 5 जनवरी को लखनऊ एटीएस ने राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि और लेखक मनीष आजाद को उनके इलाहाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया.

मनीष आज़ाद पिछले 3 दशकों से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं, मनीष इंकलाबी छात्र सभा के संस्थापक अध्यक्ष हैं. मनीष के लेख, कविताएं और फ़िल्म समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. वह अपनी आजीविका के लिए अनुवाद का कार्य करते हैं. उन्हें पहले इसी मनगढ़ंत मामले में जुलाई 2019 में यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया था और 8 महीने की कैद के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

संगठन ने कहा कि उन्हें एक अन्य फर्जी एफआईआर में भी दोषी ठहराया गया है. उनकी जेल डायरी ‘अब्बू की नजर में जेल’ 2022 में प्रकाशित हुई थी. गौरतलब है कि इस फर्जी और ठंडे मामले में दूसरी बार गिरफ्तारी से पहले, जमानत हासिल करने के 4 साल से अधिक समय के बाद, मनीष पर पहले से ही निशाना साधा जा रहा था.

उन्हें उत्तर भारतीय राज्यों में माओवादी पार्टी को पुनर्जीवित करने की कथित साजिश से संबंधित फर्जी लखनऊ साजिश मामले में टैग किया गया था. 5 सितंबर, 2024 को पूरे यूपी में अन्य कार्यकर्ताओं के आवासों के साथ उनके घर पर भी छापा मारा गया.

संगठन ने बताया कि 2019 की इस मौजूदा एफआईआर के तहत यूपी एटीएस ने 5 मार्च 2024 को वकील कृपाशंकर सिंह को उनकी जीवनसंगिनी बिंदा सोना के साथ गिरफ्तार भी कर लिया है. इसी मामले में एक अन्य कार्यकर्ता अनीता आज़ाद को भी गिरफ्तार किया गया था.

कृपाशंकर फासीवाद विरोधी फ्रंट के संस्थापक थे और इसके समाचार पत्र ‘विरुद्ध’ के संपादक थे. इससे पहले, उन्हें 2010 में एक अन्य मनगढ़ंत मामले में गिरफ्तार किया गया था और 5 साल की कैद के बाद जमानत मिल गई थी. बाद में अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अभ्यास करना शुरू कर दिया.

वकील कृपाशंकर ने गरीब लोगों, विशेषकर जेल के कैदियों के मामले लड़े, जिनके पास जमानत और अन्य न्यायिक सहायता पाने के लिए कोई वकील नहीं था. फर्जी लखनऊ साजिश केस में एनआईए ने 5 सितंबर, 2023 को उनके घर पर भी छापा मारा गया था. वह फिलहाल लखनऊ सेंट्रल जेल में बंद हैं.

कार्यकर्ता बिंदा सोना और अनीता आज़ाद ने गरीब महिलाओं विशेषकर दलित महिलाओं को शिक्षित करने के लिए सावित्रीबाई फुले संगठन में काम किया. अनीता अपने जीवन साथी ब्रिजेश कुशवाह के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) में किसान नेता राकेश टिकैत और दर्शन पाल सिंह के साथ इसके यूपी चैप्टर में भी सक्रिय थी. जहां बिंदा को यूपी एटीएस ने 5 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था, वहीं अनीता को 18 अक्टूबर 2023 को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था. दोनों फिलहाल लखनऊ सेंट्रल जेल में बंद हैं.

यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कार्यकर्ता अनीता आज़ाद का दिसंबर 2023 में लखनऊ सेंट्रल जेल में गर्भपात हो गया था, जिसका कारण जेल अधिकारियों द्वारा चिकित्सकीय लापरवाही के साथ-साथ एनआईए-एटीएस विशेष अदालत, लखनऊ द्वारा चिकित्सा आधार पर उनकी जमानत याचिका को खारिज कर देना था.

संगठन ने कहा कि मनीष आज़ाद की गिरफ़्तारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के नाम पर पूरे भारत में ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवादी भाजपा-आरएसएस सरकार द्वारा कार्यकर्ताओं पर एक बड़ी कार्रवाई का हिस्सा है. यह एक न्यायपूर्ण समाज के लिए लोकतांत्रिक लोगों के आंदोलन को दबाने का प्रयास है और लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को दबाने की एक गलत योजना है, जो कभी सफल नहीं हुई है और न ही होगी.

संगठन ने सभी प्रगतिशील और लोकतांत्रिक संगठनों और व्यक्तियों से एक साथ आने और ट्रेड यूनियन नेताओं, किसान नेताओं, लेखकों को लगातार निशाना बनाने का विरोध करने का आग्रह किया है।

इस मंच में एआईआरएसओ, एआईएसए, एआईएसएफ, एपीसीआर, एएसए, बापसा बीबीएयू, बीएएसएफ, बीएसएम, भीम आर्मी, बीएससीईएम, सीईएम, कलेक्टिव, सीआरपीपी, सीएसएम सीटीएफ, डीआईएसएससी, डीएसयू, डीटीएफ, फोरम अगेंस्ट रिप्रेशन तेलंगाना, बिरादरी, आईएपीएल, इनोसेंस नेटवर्क , कर्नाटक जनशक्ति, एलएए, मजदूर अधिकार संगठन, मजदूर पत्रिका, एनएपीएम, नज़रिया, निशांत नाट्य मंच, नौरोज़, एनटीयूआई, पीपुल्स वॉच, रिहाई मंच, समाजवादी जनपरिषद, समाजवादी लोक मंच, बहुजन समाजवादी मंच, एसएफआई, यूनाइटेड पीस आदि संगठन शामिल हैं.

दूसरी तरफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने सामाजिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की. माले प्रयागराज जिला प्रभारी सुनील मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर बुलडोजर राज चल रहा है. गरीबों का घर और लोकतांत्रिक आवाजों पर बिना किसी अपराध के बुलडोजर दौड़ाया जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता मनीष आजाद को नक्सली बताकर और फर्जी अपराधिक केस लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है जो कहीं से भी उचित नहीं है.

जो भी सत्ता के खिलाफ जनता के पक्ष में आवाज बुलंद कर रहा है उसको सरकार बर्दाश्त नहीं कर रही है. हर असहमति की आवाज को किसी न किसी रूप में दबाया जा रहा है. सांप्रदायिक फासीवादी दौर में जनता के पक्ष में खड़ा होना अपराध हो गया है, जिसकी सजा मनीष आजाद को मिल रही है. भाकपा माले ने बिना शर्त मनीष आजाद की रिहाई की मांग की है, साथ ही उसने कहा है कि वह सरकार के दमन के खिलाफ मजबूती से आवाज बुलंद करने वालों के साथ खड़ा है.

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ROHIT SHARMA

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