दुकानें और मकान ताश के पत्तों की तरह गिर और जल रहे थे. आकाश काला और जमीन लाल हो गई थी. दंगाई तरह-तरह के हथियार लिए, नारे लगाते घरों के दरवाजे तोड़ रहे थे. इतनी आवाजें थी कि कोई आवाज सुनाई न देती थी. लूटमार करने से ज़्यादा दंगाई हत्या करने का पूरा मज़ा ले रहे थे. जब उन्हें कोई लड़की या औरत मिल जाती थी तब उनका उत्साह बढ़ जाता था. उनका शौर्य और उनका उत्साह आकाश छूने लगता था.
एक घर से उन्हें एक सुंदर लड़की मिल गई. लड़की को दंगाइयों ने पकड़ लिया. वह चीख़ने चिल्लाने लगी पर किसी ने उसकी कोई बात न सुनी उसे घसीट कर बाहर निकाला गया.
दंगाइयों ने उसके कपड़े फाड़ डाले. उसके साथ मारपीट की. फिर सबके सामने उसे नंगा कर दिया. दंगाई उसके साथ बलात्कार करने लगे. भीड़ तमाशा देख कर खुश होने लगी और गंदी-गंदी गालियां फूलों की तरह बरसने लगी. गालियों की आवाज़ में लड़की का रोना और चीखना दब गया था.
लड़की बहुत सुंदर और जवान थी इसलिए उसके साथ बलात्कार करने वालों की एक लाइन लग गई थी. लाइन में लोग धक्का-मुक्की कर रहे थे. दूर खड़े एक आदमी ने अपना डंडा हिलाते हुए कहा, ‘इच्छा तो मेरी भी बहुत है. पर क्या करूं मेरी वर्दी आड़े आ रही है.’
किसी ने कहा, ‘तुम वर्दी पहन कर तो बलात्कार करोगे नहीं ? अरे वर्दी उतार दो. बलात्कार करने के बाद पहन लेना. यह कौन सी बड़ी बात है.’
वर्दीधारी ने जल्दी-जल्दी वर्दी उतारी और वह लाइन में सबसे आगे आकर खड़ा हो गया. किसी की हिम्मत नहीं थी कि उसे टोक या रोक सकता.
इस वर्दीधारी ने तो सबके लिए रास्ता खोल दिया. एक गोल-मटोल से आदमी ने, जो एक पार्टी के रंग की टोपी लगाए खड़ा था, अपनी टोपी झट से उतारी. जेब में रख ली और लाइन में आकर खड़ा हो गया. एक सूटधारी अपने टाई खोलने लगा.
बलात्कार करने के बाद जो वीर खड़ा होता था, उसे फूलों की माला पहनाई जाती थी और उसे एक प्रशस्ति पत्र भेंट किया जाता था. उसके सम्मान में संगीत भी बजाया जाता था.
लड़की बेहोश हो चुकी थी. वह अगर मर भी गई होती तो उससे बलात्कारियों के ऊपर कोई फर्क न पड़ता.
यह सब हो ही रहा था कि अचानक एक युवक आया और उसने कहा – यह लड़की मेरी पत्नी है. दंगाई उसकी तरफ झपटे. उसने जल्दी से अपना धर्म बताया, जो वही था जो दंगाइयों का था.
यह सुनकर दंगाई बहुत घबरा गए. लेकिन लड़की के पति ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा- ‘चूंकि आप लोगों ने मेरी पत्नी के साथ यह समझ कर बलात्कार किया है कि वह दूसरे धर्म की है इसलिए मैं आप लोगों को माफ़ करता हूं.’
यह सुनकर बलात्कारी बहुत प्रसन्न हो गए और युवक की जय जयकार होने लगी. फूलों की सबसे मोटी माला युवक के गले में डाली गई और युवक को बलात्कारी वीर की उपाधि दी गयी.
- असग़र वजाहत
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