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21 सितंबर को रूस के महाप्रलयकारी हमले के कयास और पुतिन की अविचलित रणनीति

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21 सितंबर को रूस के महाप्रलयकारी हमले के कयास और पुतिन की अविचलित रणनीति
21 सितंबर को रूस के महाप्रलयकारी हमले के कयास और पुतिन की अविचलित रणनीति

कल 21 सितंबर को अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और लगभग आधे बचे हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की मुलाकात होने जा रही है. पश्चिमी मीडिया ने अपने डर और कयासों का इस समय ऐसा संग्राम छेड़ रखा है कि दुनिया के बाकी देश भी 21 सितंबर को पुतिन की तरफ से बड़ा हमला होने को तय मान रहे हैं, जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है.

रूस के यूक्रेन पर हमले जारी रहेंगे, हां जेलेंस्की-बाइडन की मुलाकात के दरमियान पुतिन कुछ खास संदेश तो दे सकते हैं लेकिन यह संदेश किस शक्ल में दिया जायेगा, इस पर कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता. युद्ध छिड़ा हुआ है तो कुछ बड़े हमले भी हो सकते हैं.

लेकिन पश्चिमी मीडिया का ये कहना पुतिन कई नाटो देशों का वजूद मिटाने जा रहे हैं, यह सिर्फ नाटो अमरीका की बदहवासी भर है, जिससे साफ पता चलता है कि नाटो सदस्य देशों के पास पुतिन का सामना करने के लिए मीडियाई प्रोपेगंडा से अलावा कुछ नहीं बचा है.

किम जोंग उन की रूस यात्रा के दौरान अमेरिका ने उत्तर कोरिया को धमकी भरे लहजे में अंजाम भुगतने की जो चेतावनी दी थी उसका जबाब देने में पुतिन ने कत्तई देर नहीं की. किम जोंग उन को विदा करने के बाद पुतिन ने रूस में नियुक्त दो अमरीकी राजनयिकों को तुरंत रूस से निकल जाने का फरमान जारी कर दिया, जिससे ह्वाइट हाउस तक में हड़कंप मच गया. ह्वाइट हाउस के एक अज्ञात शीर्ष अधिकारी के अनुसार –

‘हम जानते हैं पुतिन की छोटी कार्रवाइयां कितनी बड़ी चीज की ओर इशारा करती हैं और वह उसे मुकाम तक पहुंचा कर ही दम लेते हैंं लेकिन अमरीका इन चीजों में बातचीत से सुलह का हिमायती है, हम सोचते हैं रूस से सीधे तौर पर नहीं लड़ा जा सकता लेकिन बचाव के लिए जबाबी कार्रवाई से नाटो कभी नहीं जीत सकता.’

उधर सीआईए ने किम जोंग उन और पुतिन की मुलाकात पर एक ऐसा दावा कर दिया है जिससे नाटो सदस्य देशों के हौंसले उड़न-छू हो गये हैं. सीआईए ने अपने जासूसी इनपुट के आधार पर कहा है कि –

‘नाटो विरोधी ‘रूस नेतृत्व CSTO मुल्कों’ के साथ उत्तर कोरिया, चीन रूस अपनी अगुवाई में यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं होने देना चाहते हैं. इन देशों की रणनीति है कि सभी नाटो देशों की सैन्य ताकत को यूक्रेन युद्ध में ही खत्म कर दिया जाये, फिर एक साथ ब्रिटेन और अमरीका में धावा बोल दिया जाये.’

सीआईए के इस रिपोर्ट को बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने नाटो देशों की बचकानी बातें कही हैं. लुकाशेंको ने कहा –

‘हां ये सही है युद्ध जारी रहेगा और इसका स्वरूप और विस्तार को दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती हम अपनी तैयारी और जीत के प्रति आश्वस्त हैं.’

बहरहाल, रूस का यूक्रेन पर हमलों का सिलसिला गुणात्मक तौर पर रफ्तार पकड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन भी रूस पर हमले करने से बाज नहीं आ रहा है. अमरीका का स्वघोषित एक अजेय फाइटर F-35 विमान ने रविवार को उस समय अमरीकी रक्षा विभाग की पूरी दुनिया में भद्द पिटवा दी, जब इस फाइटर जेट में तकनीकी खराबी आ जाने से पायलट ने फाइटर जेट को चालू हालत में छोड़ पैरासूट से छलांग लगा दी और फाइटर जेट बिना पायलट के लगभग 600 किमी दूर तक उड़ान भरते हुए एक जंगल के बीचोंबीच क्रैश हो गया.

सोशल मीडिया में दुनिया भर के यूजर्स ने इस पर अमरीकी रक्षा उपकरणों के बारे में तंज मारते हुए ‘पुतिन के दहशत से अमरीकी फाइटर जेट गायब’ कहकर खूब मजे लिए गए हैं. रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ के अनुसार कल सुबह 4 बजे से आज दोपहर दो बजे तक रूसी सेना ने यूक्रेन के 4 शहरों पर मिसाइल हमलों से कई यूक्रेनी सैन्य ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया है.

बड़े पैमाने पर पश्चिमी देशों से मिले हथियारों व टैंकों को रूसी सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है. जमीनी स्तर पर लड़ाई में 213 यूक्रेनी सैनिकों के सरेंडर के साथ 388 यूक्रेनी सैनिक अपनी जान गंवा दिए हैं. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि –

‘यूक्रेन का पूरा राजकीय ढांचा तबाह हो चुका है. स्कूल, विद्यालय, रेलवे, हवाई सेवाएं सब लगभग ध्वस्त हैं. जहां का नागरिक जीवन अपनी सरकारों के करतूतों पर विवेक को शून्य और आंखें बंद कर लेते हैं, इसकी बदस्तूर कीमत उन्हीं नागरिकों को चुकानी पड़ती है.’

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दुनिया के अमन चैन में उपद्रव मचाता अमरीका अब हर जगह पिसता-घिसटता अपने वैश्विक वर्चस्व की सनक को लेकर जहां एक ओर अपने खात्मे की आखिरी कगार पर खड़ा हो चुका है, वहीं चीन रूस इस वक्त का जोरदार तरीके से इस्तेमाल के लिए तैयार बैठे हैं. यह खबर कम से कम भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं है.

भारत को इस पर अपना साफ दृष्टिकोण रखना चाहिए कि ताइवान जिसे दुनिया में अभी तक ‘एक देश’ के तौर पर मान्यता नहीं है, उसके साथ किस तरह से पेश आया जाये और इसमें भारत के हितों को कैसे सुरक्षित रखा जाये.

  • ऐ. के. ब्राईट

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