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सोनिया गांधी का मायका इटली में मोदी

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सोनिया गांधी का मायका इटली में मोदी

पिछड़े व अपराधी तत्वों के घोर प्रतिक्रियावादी सरगना नरेन्द्र मोदी इटली के दौरे पर हैं. यह वही इटली है जिसके बारे में इस प्रतिक्रियावादी गैंग ने सबसे बढ़कर हमला बोला है. अपनी कुंठा मिटाने के लिए इस गैंग ने भारत के शहीद प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी और बच्चों के खिलाफ जमकर दुश्प्रचार किया है.

इतना ही नहीं बल्कि इस प्रतिक्रियावादी गैंग ने इटली की बेटी जो भारत के शहीद प्रधानमंत्री की पत्नी है, के खिलाफ दुश्प्रचार कर ही देश का सत्ता हथियाया है, दूसरे शब्दों में कहें तो कब्जा किया है, और अभी उसी बेटी के देश इटली में जाकर बेहतर रिश्ते बनाने का आह्वान कर रहा है. मोदी के इस दोगले चरित्र पर तीखी टिप्पणी करते हुए कृष्णन अय्यर लिखते हैं –

मेरे प्यारे भक्तों/संघियों/बीजेपी के महान ट्रोल, गालीबाजों, मूर्खों ! तुम्हारे आराध्य मोदी इटली पहुंच गए हैं. वही इटली जो शहीद राजीव गांधी का ससुराल है, श्रीमती सोनिया गांधी का मायका है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नानी घर है.

मोदी कहता है कि इटली से नए रिश्तों की शुरुआत करेगा..भक्तों, गोबर चाट कर डूब मरो.इटली से नए रिश्ते ? 7 साल से इटली का नाम ले कर गांधी परिवार को गाली देते रहे. रिश्तों को दागदार किया और आज मोदी ने तुमलोगों के मुंह पर गोबर मल दिया. चलाओ रे ‘बॉयकॉट मोदी.’

और सुनो, मोदी पोप से वैटिकन जा कर मिलेगा. वही पोप जो भारत में हिन्दूओं को ईसाई बनाने के लिए करोड़ो डॉलर भेजता है..वही पोप जो सोनिया गांधीजी के साथ साजिशें रचता है. वो क्या बोलते हो : क्रिप्टो क्रिस्चियन.

मोदी पोप से मिलेगा तो नमस्कार भी करेगा. भक्तों, गोबर में लोटपोट हो कर सड़कों पर मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करो. हर हर पोप, घर घर इटली.

बहरहाल, नरेन्द्र मोदी इटली गये हैं दुनिया के दूसरे सबसे मंहगे विमान पर चढ़कर, लेकिन इटली में विमान से उतरते ही वहां के पारंपरिक सामान्य वाहन टैक्सी से ले जाया गया बिना किसी सामंती दिखावे के. ऐसे ही बेहद सामान्य वातावरण में विकास एच. सूद इटली जाकर सोनिया गांधी के मायके इटली स्थित घर पर गये हैं, जिसका एक बेहद साधारण पर रोमांचक वर्णन उन्होंने किया है, जो निम्नोक्त है –

तो आज आखिर हम पहुंच ही गये सोनिया गांधी के मायके ओरबासानो. बहुत दिनों से बस यही सोच रहे थे कि इटली आये हुए हैं तो सोनिया गांधी का घर जरूर देखना है.

तुरिन में, Strada Comunale del Lauro, जहां हम रह रहे हैं वहां से 20 किलोमीटर की दूरी पर है ओरबासानो. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाने पर वहां पहुंचने में डेढ़ घंटा लगता है, तो हमने बस व ट्राम से जाने का ही प्रोग्राम बनाया क्योंकि टैक्सी से वहां जाना मंहगा पडता है. वैसे टैक्सी तो आधे घंटे में पहुंचा देती है.

खैर पता करके हमने घर के पास वाले स्टाप से बस पकडी और फिर ट्राम ली, फिर ट्राम से उतरकर एक और बस पकडनी थी लेकिन ठीक ठीक जानकारी नहीं होने के कारण गलत बस नंबर 1511 में बैठ गए. उस बस के चालक ने हमारी मदद की.

आधे घंटे उसी बस में बैठे रहने के बाद हमें उसने सही स्टाप पर उतार दिया जहां से हमें ओरबासानो जाने के लिए सही बस पकडनी थी. लगा यहां के लोग कितने भले और मददगार हैं. और फिर पूछते पूछते भटकते भटकते हम लोग एक टैक्सी स्टैंड पहुंचे.

वहां हमने टैक्सी चालकों से सोनिया गांधी के घर के बारे में पूछा. टूटी फूटी अंग्रेज़ी में उन्होंने बताया कि वहां से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है तो 50 यूरो (लगभग 4000 रूपये) लगेंगे, इससे अच्छा है कि आप लोग पैदल चले जाये. तो हमें पैदल चलना ही ठीक लगा.

रास्ते मे जो बिल्डिंग, गलियां आदि पडे उनके कुछ चित्र लगा रही हूं लेकिन पैदल रास्ते में एलप्स (Alps) की सुन्दर पहाड़ियां भी दिखाई पडी लेकिन घर ढूंढने की आपा धापी में उनका फोटोज नहीं ले पाये, फिर कभी, शायद अगली बार यहां आने पर.

लगभग 20-25 मिनट चलने के बाद हमने अपने आप को Via Vincenzo Bellini 14 के सामने खडा पाया. यही है भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू, राजीव गांधी की पत्नी, राहुल गांधी प्रियंका गांधी की मां और भूतपूर्व कांग्रेस अध्यक्ष का मायका. बहुत ही खुशी हुई. दो मंजिला मिडिल क्लास परिवार का घर. बडा-सा लोहे का गेट. एक साधारण सा मकान. वहां के कुछ फोटोज लिए और फिर वापसी.

सोनिया गांधी की एक बहन आलेजांद्रा की दुकान भी 2 किलोमीटर की दूरी पर थी, जहां कपडे, शाल, अगरबत्ती व प्रसाधन सामग्री मिलती है. वैसे तो सोनिया गांधी लुसियाना (Lusiana) में पैदा हुईं थी लेकिन उनका पालन पोषण इसी घर में हुआ था. अपनी पढाई के लिए वह कैम्ब्रिज चली गयी थी, जहां उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई थी जो कैम्ब्रिज में इंजीनियरिंग करने के लिये आये थे.

और हां, वहां एक सडक का नाम राजीव गांधी के नाम पर रक्खा गया है – Via Rajiv Gandhi. पता चला कि राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उस समय के मेयर कार्लो मारोनी के समय में इस सडक का यह नाम रक्खा गया था. कि इटली के लोगों के दिलों मे नेहरू-गांधी परिवार के लिए बहुत इज्ज़त है।

कार्लो मारोनी उस समय कम्युनिस्ट नेता थे. बाद में वे समाजवादी लोकतांत्रिक पार्टी में रहे. एक समय वे तुरिन के मेयर थे और उसके बाद ओरबासानो के मेयर भी रहे.

बहरहाल, नरेन्द्र मोदी बेहद साधारण पर दुनिया के नक्शे पर मजबूत कदम रखने वाले विकसित देश इटली गये हैं, और वहां के पोप से भी गले मिले हैं, जैसी की उनकी आदत है, तो यह उम्मीद करना चाहिए कि वह वहां से कुछ सदबुद्धि सीख कर लौटेंगे और देश को लूटने, बेचने जैसे कुकर्म से कुछ सबक सीखेंगे.

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