Home लघुकथा ‘साहब ये बैल है, वकील नहीं !’

‘साहब ये बैल है, वकील नहीं !’

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'साहब ये बैल है, वकील नहीं !'
‘साहब ये बैल है, वकील नहीं !’

एक वकील साहब को यह देखकर हैरत हुई कि बैल बैलगाड़ी खींच रहा है और किसान बैलगाड़ी में सोया पड़ा है.

वकील साहब ने किसान से कहा – ‘अगर बैल रुक जाये तो तुम्हें पता ही नहीं चलेगा.:

किसान – ‘पता चल जायेगा वकील साहब, उसके गले में बंधी घंटी भी रुक जाएगी.’

वकील साहब बोले – ‘अच्छा, अगर बैल एक जगह खड़ा होकर सिर्फ़ अपना सिर हिलाते रहे तो घंटी बजती रहेगी. फ़िर तुम समझोगे कि बैल चल रहा है.’

किसान ने बड़ी शांति से जवाब दिया – ‘साहब ये बैल है, वकील नहीं.’

  • ज्योत्सना श्रीवास्तव

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ROHIT SHARMA

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