दिल्ली लोकसभा जहां हंसी-ठिठोली की जगह बन गई है, वहीं राज्य सभा भी इससे अलग नहीं रह गई थी. भरे पेट वाले लाखों लोगों की नुमाइंदगी करने के नाम पर अपना जीवन संवारते हैं और देश के सबसे बड़ी सदन में हंसी-ठिठोली करने के साथ साथ देश को दोनों हाथों से लूटने का षड्यंत्र करते हैं, वहीं पहली बार आम आदमी पार्टी की ओर से राज्य सभा में पहुंचे तीनों सांसदों में सर्वाधिक विरोध झेलने वाले सुशील कुमार गुप्ता ने पूरी दृढता और विनम्रता के साथ आम आदमी की बात को जिस शानदार तरीक़े से सदन के पटल पर रखा उससे कॉरपोरेट घरानों की हिफाजत करने वाले संसद के सभापति भी भौचक्क रह गये और तिलमिला उठे. यही कारण है कि सभापति उनके महज 15 मिनटों की बातों को भी पूरा नहीं होने देना चाहते थे और बार-बार बैठने का आदेश देते रहे.
सुशील कुमार गुप्ता के राज्य सभा के सदन पटल पर रखी गई पूरी बातों को शब्दशः सुना जाना चाहिए जब उन्होंने सीधे-साधे तरीकों से अपनी बातें शुरु कर मानव जीवन को बचाने के लिए स्वास्थ्य की समस्या को उठाया और कहा कि केन्द्र सरकार जहां बजट का मात्र 2.24% स्वास्थ्य पर खर्च करती है, वहीं दिल्ली की आम आदमी की सरकार 12% खर्च करती है, जिसे पूरे देश में अपनाया जाना चाहिए. वहीं श्री गुप्ता ने शिक्षा के सवाल को बेहद संजीदगी से उठाते हुए बताया कि केन्द्र सरकार बजट का मात्र 3.5% शिक्षा पर खर्च करती है, जबकि दिल्ली सरकार अपने बजट का 24% शिक्षा पर खर्च करती है. एक स्वास्थ्य और शिक्षित आदमी ही अपना और देश का बेहतर विकास कर सकता है.
इन बुनियादी समस्याओं के अलावे श्री गुप्ता ने युवाओं की बेरोजगारी की समस्या को बखूबी रखा और स्पष्ट किया कि बेरोजगारी की समस्या किस प्रकार अपराध को जन्म देती है.
केन्द्र सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियों के कारण ही आज देश की 73% सम्पत्ति महज 1% लोगों के हाथों में सिमट गई है. ये 1% सम्पत्तिशाली लोग इस देश का विकास करने के वजाय अपनी पूंजी विदेश में लगा रहे हैं और विदेश भाग रहे हैं.
पहली बार राज्य सभा संसद में आम आदमी की आवाज गूंजी है, जिसके लिए आम आदमी पार्टी निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं. संभवतः उम्मीद की जानी चाहिए कि आम आदमी की यह गूंजती आवाज देश में परिवर्तन की बयार लायेगी.
यहां हम अपने पाठकों के लिए सुशील कुमार गुप्ता के राज्य सभा की स्पीच का लिंक दे रहे हैं, ताकि वे उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को भली प्रकार समझ सके.