आभा शुक्ला
लोग कहते हैं कि तुम महिला होकर गालियां देती हो….?
तो …..?
एक बात बताओ भाई….., अब दो चार गाली देने के लिए जेंडर चेंज करा लें का…..?
या,
एक पुरुष को नौकरी पर रखें तुम्हें गाली देने के लिए….? उसकी सैलरी तुम दोगे का…? अगर उसको सैलरी देने के लिए हामी भरो तो ही हम एक पुरुष सहायक रखेंगे गाली देने के लिए….! वरना नहीं….!
गाली तो महिला से ही खानी होंगी अगर बत्तमीजी की तो…..
#असुविधा_के_लिए_खेद_नहीं_है !
Read Also –
गालियां और कु-संस्कृति : हम बहुत खतरनाक समय में जी रहे हैं
गर्वित रंडियां : मेरी कोई बेटी हुई तो मैं उसको अरुंधति रॉय और शेहला रशीद जैसी ही रंडी बनाऊंगी…!
भाजपा के टपोरी तंत्र, टपोरी भाषा और टपोरी कल्चर में विकसित होता फासिस्ट कल्चर और हिन्दी भाषा
जरूरत है गालीबाजों के खिलाफ सशक्त मुहिम चलाने की
हत्यारों, बलात्कारियों, गालीबाजों पर कब बोलेंगे प्रधानमंत्री ?
गालीबाजों के मुखिया मोदी का सोशल मीडिया पर “ज्ञान”
विश्व हिंदी दिवस : आरएसएस-मोदी गैंग ने हिंदी को प्रतिक्रियावादी और गाली की भाषा बनाया है
प्रिय अंडों और नफरती चिंटुओं…, फ्लॉवर समझा है क्या, फायर है हम…!
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]