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श् श् श्…

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श् श् श्
अभी अभी
एक मौत हुई है
इस कमरे में
हम ढूंढ रहे हैं
उंगलियों के निशान
मृतक के गले पर
प्रथम दृष्टया
यह हत्या का मामला है
खुली खिड़की
जो बाग़ीचे की तरफ़ खुलती है
वहां पर लटका
झीना पर्दा
अब भी हिल रहा है
पर्दे में
ग्लानिबोध नहीं होता
वे एस्पेन के पते नहीं हैं

मृतक के शरीर के पास
बत्तीस गज की एक
टेढ़ी मेढ़ी लिपी है
कोई लाखों साल पुरानी
सर्वविदित किंतु
अनुद्धृत

मुआयना चल रहा है

मृतक कौन है
तय करना मुश्किल है
उसका चेहरा इतना आम है कि
कुछ भी ख़ास नहीं है उसमें

चश्मदीद कहते हैं
पिछली रात
मृतक को देखा गया था
जंगल में समाते हुए
उसके हाथ एक कुल्हाड़ी थी
जब वह लौटा तो
शाम हो चुकी थी
उसकी कुल्हाड़ी झक सफ़ेद
दांतों को निपोरे
आसमान की तरफ़ देख रहा था
मृतक के दाहिने कंधे पर
और उसके बाएं कंधे पर
छाल में लिपटी हुई हड्डियां थीं

अग्नि के पाथेय
घर्षण के बीजमंत्र हैं
करुणा इसमें तिरोहित होती है
फल्गु के रेतीले तट पर

श् श् श्
तहक़ीक़ात अभी चल रही है
कुछ मत छुओ
तुम्हारा एक अदना सा स्पर्श
मिटा देगा सारे सबूत

लकड़हारे
लकड़बग्घा के हाथों मारे जाते हैं
साधारण बात है
लेकिन यहां किसी चौपाए का
कोई निशान नहीं है

वह निशान
न्यायाधीश की मेज़ के नीचे
फ़र्श पर पर पाया जाएगा
फ़ैसले के दिन

फ़िलहाल
तहक़ीक़ात जारी है
आपका आना अभी निषिद्ध है
लाल डोरे से घेर दिया गया है
घटना स्थल

मृत्यु के पहले
मृतक ने दीवार पर लिखा था
भूख
प्रागैतिहासिक लिपि में
इसलिए तो हर बार रह जाती है
तहक़ीक़ात अधूरी
और आप लोग
ख़ामख़ाह दोष मढ़ते हैं
हमारे सक्षम
विश्व प्रसिद्ध ख़ुफ़िया तंत्र पर !

  • सुब्रतो चटर्जी

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