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शाबाश केजरीवाल : बेईमान लोग ही पारदर्शिता से डरते हैं

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शाबाश केजरीवाल : बेईमान लोग ही पारदर्शिता से डरते हैं

नरभेड़िया नरेन्द्र मोदी के गुप्त बातों – बड़े पैमाने पर आम मध्यम वर्गीय-गरीब लोगों की ऑक्सीजन न देने के बहाने नरसंहार करने का षड्यंत्र – को दिल्ली जैसे आधे-अधूरे राज्य के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सार्वजनिक क्या कर दिया, मानो आसमान बरस पड़ा हो. सारे संघी, भाजपाई अपनी नंगई को उजागर होते देख कर भड़क गया है, और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर लानत-मलानत शुरू कर दिया.

बहुत दिन नहीं बीतें हैं जब देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के एक अस्पताल में, जहां रामराज्य आ गया है, ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों बच्चे पल भर में काल की गाल में समा गये. ऑक्सीजन की कमी से पल पल मौत को गले लगा रहे बच्चों को बचाने के लिए जिस डॉक्टर ने अपने जेब के पैसों से ऑक्सीजन खरीदकर अन्य लोगों को बचाने का प्रयास किया.

रामराज्य के ‘राजा’ आदित्यनाथ बिष्ट ने ऑक्सीजन की कमी से मौत के जिम्मेदार लोगों को पुरस्कृत किया और अपने जेब के पैसों से ऑक्सीजन खरीद कर लाने वाले डॉक्टर को फौरन गिरफ्तार कर जेल में न केल बंद ही कर दिया, अपितु जेल में ही उसकी हत्या करने का षडयंत्र भी रचा. गौरतलब हो कि वह डॉक्टर काफील खान भारी जनप्रतिरोध के बाद जेल से तो रिहा हो गये हैं, पर आज तक निलंबित हैं. तो सहज ही समझा जा सकता है कि ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों की मांग को नरेन्द्र भेड़िया की ‘गुप्त बैठक’ में मांग को प्रमुखता से लाइव उठाने वाले अरविंद केजरीवाल भला कैसे बच सकते हैं.

बढ़ते Corona को लेकर Kejriwal और Pm Modi की High Level Meeting

इसी में एक संघी विजय रूपाणी ने अरविन्द केजरीवाल को प्रोटोकाॅल की याद दिलाते हुए ट्विट किया कि ‘आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आज की बैठक में मीडिया को सीधे लाइव फीड देने का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का कृत्य प्रोटोकाॅल के विरूद्ध शर्मनाक और निंदनीय है. कोरोना नियंत्रण के गंभीर विषय पर जब सारा देश एक होकर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे समय में केजरीवाल का यह कदम अशोभनीय है. अपने 45 साल के सामाजिक जीवन और 5 साल के मुख्यमंत्री काल में मैंने अरविन्द केजरीवाल की तरह गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करने वाला मुख्यमंत्री नहीं देखा. इस कृत्य की निश्चय ही भत्र्सना की जानी चाहिए.’

इस संघी विजय रूपाणी के ट्विट पर लोगों ने विजय रूपाणी की जमकर धुनाई की. एक यूजर प्रियंका पटेल ने विजय रूपाणी को करारा जवाब देते हुए लिखा है, ‘अच्छा पिछली मुख्यमंत्री की मीटिंग का खुद प्रधानमंत्री ने अपने यू-ट्यूब से लाइव प्रसारण किया था, वो प्रोटोकाॅल में था ? इसे डबल स्टैंडर्ड कहते हैं. यह देखो पिछली मुख्यमंत्री मीटिंग या अभी जिम्मेदारी की बात आई इसलिए मूंह छुपाना पड़ रहा है ?’

एक दूसरे यूजर ने लिखा है, ‘पहले भी लाइव फीड हुए हैं. देश की जनता के लिए, देश की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की ये सरकारी मीटिंग थी. हर ऐसी मीटिंग का लाइव फीड होना चाहिए. जनता के सेवक हैं, सो मालिक को पता होना चाहिए कि सेवक क्या कर रहा है.’ एक अन्य यूजर ने सीधे-सीधे सवाल उठाया कि ‘8 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की मीटिंग को लाइव करना कौन से प्रोटोकाॅल है ? शर्मनाक या निंदनीय.’ विशाल नामक यूजर लिखते हैं कि ‘आप क्या चाहते हैं कि जिन लोगों को हमने चुना है वे लोग अपने नागरिकों के लिए क्या निर्णय लेते हैं, उनकी क्या जरूरत है, क्या शिकायतें हैं, वह हमें पता ही न चले. बेईमान लोग ही पारदर्शिता से डरते हैं.’

निक्की हैदर नामक यूजर लिखते हैं, ‘केजरीवाल आॅक्सीजन मांग रहा था, साहब को प्रोटोकाॅल की पड़ी हुई थी. लोग बिना आॅक्सीजन के मर रहे हैं, आप लाइव ब्राॅडकास्ट से डर रहे हैं.’ वहीं एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, ‘तो गलत क्या था ? दिल्ली में आॅक्सीजन की किल्लत से मरीजों की जान जाने की बात करना ? दिल्ली तक आॅक्सीजन सप्लाई सुनिश्चित करवाने की अपील करना ? या जितना भी थोड़ा बहुत आॅक्सीजन कोटा मिला है दिल्ली को, उसको भी हरियाणा, यूपी में रोक लेना ?

एक अन्य यूजर अजमत कुरैशी ने पूछा, ‘शर्म आती है या नहीं. प्रचारमंत्री के साथ कौन-सा सीक्रेट सुरक्षा मीटिंग हो रही थी. पहले गुजरात माॅडल संभाल लो. बोलो प्रचारमंत्री को बंगाल में रैली करे. अरे धिक्कार है तुम लोगों पर.’ विक्रम सिंह लिखते हैं, ‘मोदी से सवाल पूछना निंदनीय, देश विरोधी कृत्य है, यह किसे नहीं पता.’

प्रदीप गुप्ता नामक यूजर लिखते हैं, ‘विजय रूपाणी, पिछले डेढ़ महीने तक मोदी ने कोरोना की तरफ से आंखें बंद कर रखी और वे बंगाल और बांकी चार राज्यों के चुनाव में व्यस्त रहे. क्या उनका यह गुनाह शर्मनाक, निंदनीय और जनविरोधी नहीं है ?’ रोहित चैहान लिखते है।, ‘लेकिन गुजरात/देश में बिना आॅक्सीजन और वेंटीलेटर के लोग दम तोड़ रहे हैं, वो कृत्य बड़ा ही शोभाजनक है ?

राज तिवारी लिखते हैं, ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के पत्र का जवाब में कौन से प्रोटोकाॅल का ध्यान रखा गया था ? यह चीन से युद्ध की बैठक नहीं थी. महामारी पर हमारी सरकार की क्या तैयारी है, यह भी जानने का हक देश की जनता को नहीं देने का क्या मतलब है, यह भी बताएं सीएम (विजय रूपाणी) महोदय ?’

मृत्यु का देवता नामक एक यूजर लिखते हैं, ‘इन लोगों के प्रोटोकाॅल का मतलब है मूकदर्शक बनकर जी हुजूरी करना. अगर आपने जनता के हित में सवाल पूछा तो आपने प्रोटोकाॅल तोड़ा. बस यहीं तक है इनलोगों की सोच.’ एसएस नामक एक यूजर गुजरात के अहमदाबाद हाॅस्पीटल के सामने एक मां अपने बीमार बच्चे के साथ सड़क पर बैठे हैं, का विडियो अपडेट करते हुए लिखते हैं, ‘अहमदाबाद हाॅस्पीटल के सामने एक मां अपने बीमार बच्चे के साथ सड़क पर बैठी है. अस्पताल उसको एडमिट नहीं कर रहा है क्योंकि प्रोटोकाॅल के हिसाब से एडमिशन सिर्फ एम्बुलेंस में आने वाले व्यक्तियों का हो रहा है. ये मां क्या करे तुम्हारे प्रोटोकाॅल का ? अचार डाले ?

वहीं, अनवर नामक यूजर क्लोज डोर मीटिंग में मंदबुद्धि मोदी का मास्क लगाये विडियो का स्क्रीन शाॅट लगाते हुए सवाल उठाते हैं कि ‘रैली में मास्क नहीं, क्लोज डोर मीटिंग में मास्क ? मोदी जी बस करो. अपनी मंदबुद्धि का परिचय देना बंद करो.’ वहीं एक अन्य यूजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को शाबसी देते हुए एक पोस्टर शेयर करते हैं, जिसमें लिखा है –
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की बातचीत में कैसी प्राइवेसी और कैसा प्रोटोकाॅल ? दोनों ही जनता के सेवक हैं. दोनों ही जनता के प्रति जवाबदेह है. कुछ भी प्राइवेट क्यों हो ? ऐसे प्रोटोकाॅल तो उनके लिए होते हैं जिन्हें जनता से कुछ छुपाना होता है.

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