क्विंट में प्रकाशित उपेंद्र कुमार की एक रिपोर्ट है, जिसमें बताया गया है कि देश में जो माहौल बनाया जा रहा है कि यहां अद्वितीय विकास हो रहा है. दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है. सिर्फ आर्थिक ही नहीं, जीवन के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाए जा रहे हैं लेकिन इन दावों के बीच भारत से हो रहा है ‘महापलायन‘. इसे आप द ग्रेट इंडियन माइग्रेशन (The great India Migration) कह सकते हैं. हर रोज 350 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेरोजगारी और गरीबी से परेशान लोग ऐसा कर रहे हैं, बल्कि माहौल ऐसा है कि अरबपति भी भाग रहे हैं. चौंकाने वाले आंकड़े देखकर आप भी पूछेंगे जरूर कि ऐसा क्यों हो रहा है.
लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 1 जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2021 के बीच करीब 9 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इस आंकड़े के मुताबिक हर रोज करीब 350 भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं. राय ने बताया कि विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अभी कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं.
गृह राज्य मंत्री ने ये भी बताया था कि साल 2017 में 1,33,049 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी. 2018 में 1,34,561 वहीं, 2019 में 1,44,017, जबकि 2020 में 85,248 और 30 सितंबर, 2021 तक 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.
भारत छोड़कर जाने वालों की पहली पसंद अमेरिका है. देश छोड़कर जाने वालों में 42 फीसदी लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली है. दूसरी पसंद कनाडा है, जहां की 2017 से 2021 के बीच 91 हजार भारतीयों ने नागरिकता अपनाई. तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा, जहां 86,933 भारतीय 5 साल में नागरिक बन गए. उसके बाद इंग्लैंड में 66,193 और फिर 23,490 भारतीयों ने इटली की नागरिकता हासिल की.
मॉर्गन स्टेनली बैंक ने साल 2018 में एक डेटा जारी किया था, जिसके मुताबिक साल 2014-18 के बीच 23,000 भारतीय करोड़पतियों ने देश छोड़ा था. वहीं, ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 5,000 भारतीय करोड़पति अकेले साल 2020 में भारत छोड़कर विदेश चले गए.
गोल्डन वीजा के जरिए विदेशी नागरिकता ले रहे भारतीय अरबपति
दूसरे देशों की नागरिकता और वीजा दिलाने वाली ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स का कहना है कि गोल्डन वीजा यानी निवेश के जरिए किसी देश की नागरिकता चाहने वालों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वालों में 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों की संख्या 54 फीसदी बढ़ी थी. वहीं, 2020 में भी साल 2019 के मुकाबले इस संख्या में 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. सवाल यह है कि भारतीय क्यों छोड़ रहे देश की नागरिकता ? इसके कुछ जवाब जो सामने आये हैं, वे इस प्रकार हैं –
- असुरक्षा : जानकारों का मानना है कि भारत के धनी लोगों द्वारा नागरिकता छोड़ने की बड़ी वजह बिजनेस में असुरक्षा की भावना होना है. सरकार बिजनेस के अनुकूल माहौल नहीं बना पा रही है, जिससे लोग भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं.
- लिविंग स्टैडर्ड: भारत में धनी लोगों के लिए वो लिविंग स्टैडर्ड नहीं है, जो अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया, इटली में है. भारत के धनी लोग परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लगातार नए विकल्प खोज रहे हैं.
- एजुकेशन: भारत में एजुकेशन सिस्टम भी उतना अच्छा नहीं है, जितना इन देशों में हैं. बता दें, अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2021 में इनकी संख्या 2020 के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़ गई थी, जो बाकी किसी भी देश से ज्यादा है और साल 2022 में भी इस संख्या का बढ़ने का अनुमान है. जानकारों का मानना है कि बेहतर पढ़ाई, करियर, आर्थिक संपन्नता और सुरक्षित भविष्य को देखते हुए भारत से बड़ी संख्या में लोग विदेश का रूख कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में देखा गया है कि पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले लोगों में से करीब 70-80 फीसदी युवा वापस भारत नहीं लौटते हैं. करियर और अच्छे भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वे विदेशों में ही बस जाते हैं.
- स्वास्थ्य सेवाएं: भारतीय करोड़पतियों की देश की नागरिकता छोड़ने की वजह में से ये भी एक बड़ी वजह है. भारत में स्वास्थ्य सेवाएं उतनी अच्छी नहीं हैं, जितनी इन देशों में हैं. भारत के धनी लोगों को इलाज के लिए विदेश ही जाना पड़ता हैं.
- बेरोजगारी: देश में बेरोजगारी की वजह से पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के ज्यादातर लोग कनाडा का रूख करते हैं. वहीं, यूपी और बिहार के लोग खाड़ी देशों में जाना ज्यादा पसंद करते हैं. भारत में बेरोजगारी अपने चरम पर है. मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक पिछले 6 साल में से 5 साल देश की बेरोजगारी दर अंतरराष्ट्रीय दर से ज्यादा रही है. इसमें कोरोनावायरस ने भी अपनी भूमिका अदा की है. अप्रैल 2020 में भारत की बेरोजगारी दर सबसे ऊपर 23.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. दरअसल, 2018 से 2021 के बीच भारत ने 1991 के बाद अर्थव्यवस्था की सबसे लंबी गिरावट झेली है. इस दौरान बेरोजगारी की औसत दर 7.2 प्रतिशत रही, जबकि अंतरराष्ट्रीय दर 5.7 फीसदी थी. जिस देश में सालाना एक करोड़ से ज्यादा लोग रोजगार की आयु में पहुंच रहे हों, उसके लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है.
इन उपरोक्त कारणों से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता हासिल करने की यह बेचैनी इन दिनों किस कदर लोगों में फैली है, वह आश्चर्यजनक है. लोग अगर वैध तरीकों से नहीं जा पा रहे हैं तब वह अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, चाहे वह कोई भी कीमत क्यों न हो. लाखों रुपये (मेक्सिको के रास्ते अवैध रूप से अमेरिका पहुंचाने के लिए एजेंट 70-75 लाख रुपये प्रति व्यक्ति लेते हैं) और जान की जोखिम लेकर भी लोग इस देश से भाग रहे हैं. सर पर पैर रखकर भाग रहे हैं.
अमेरिका के कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2023 में 96,917 भारतीय नागरिकों को अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश में पकड़ा गया है. यह आंकड़ा अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच की अवधि का है. टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपे इन आंकड़ों के मुताबिक यह एक नया रिकॉर्ड है और तीन साल पहले के आंकड़ों में पांच गुना उछाल है. 2019-20 में ऐसे लोगों की संख्या सिर्फ 19,883 थी.
ताजा मामलों में 41,770 भारतीय मेक्सिको की सीमा से पकड़े गए और 30,010 कनाडा की सीमा से. बाकी लोगों को अमेरिका में घुसने के बाद पकड़ा गया. अखबार के मुताबिक अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ वो मामले हैं जो सामने आए. ऐसे भारतीयों की असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. आंकड़ों के मुताबिक इन लोगों में सबसे ज्यादा संख्या एकल वयस्कों की है. 2022-23 में इस श्रेणी के 84,000 लोग पकड़े गए. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि 730 बच्चे भी पकड़े गए हैं जो अकेले थे, यानी उनके साथ उनके परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था.
कानून के उल्लंघन के अलावा इस तरह की कोशिशों में चिंता की बात यह भी है कि अमेरिका में अवैध तरीके से घुसने के तरीके काफी खतरनाक हैं. हाल के सालों में इन कोशिशों में लगे कई लोगों की जान भी जा चुकी है, जिनमें भारतीय लोग भी शामिल हैं. जनवरी, 2022 में अमेरिका और कनाडा की सीमा के बीच एक भारतीय परिवार के चार लोगों की सर्दी से जमकर मौत हो गई थी. यह परिवार गुजरात का रहना वाला था. मरने वालों में 39 और 37 साल के दो वयस्क और 11 और 3 साल के दो बच्चे शामिल थे.
अधिकारियों का मानना है कि अवैध तरीके से प्रवेश करने की कोशिश करने वाले भारतीय लोगों में सबसे बड़ी संख्या गुजरात और पंजाब से जाने वाले लोगों की है. गांधीनगर में पुलिस अधिकारी एके झाला कहते हैं – ‘लोग अमेरिका और कनाडा जाने के लिए अपना घर और जमीन तक बेच रहे हैं.’ रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का मानना है कि अमेरिका पहुंच जाने से उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी.
अगर हम अवैध तरीकों से केवल अमेरिका जाने वालों की बात करें तो अमेरिका में अवैध रूप से घुसने के दौरान पकड़े जाने वाले भारतीयों की संख्या में तीन साल में पांच गुना उछाल आया है. दुनिया के अन्य देशों में अवैध तरीकों से घुसने का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. लेकिन संभावना जताई जा रही है कि इस आंकड़े में भी तेजी से इजाफा हुआ है.
अगर मोदी के ताजा नारों की पृष्ठभूमि में इस खबर को देखें तो कहना होगा भारत में जिस तरह विगत दस सालों में समस्याएं बढ़ी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रेलर बता रहे हैं, तब आगे जब फिल्में बनेगी तो निश्चित तौर पर यह महापलायन और ज्यादा विकराल रूप धारण करेगा. बहरहाल, मोदी का ‘ट्रेलर’ देख जो भाग सकते हैं, भाग रहे हैं, बांकी लोग ‘मोदी का फिल्म’ देखने के लिए अभिशप्त हैं.
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