किसी भी अर्थव्यवस्था के प्रसार के लिए सुविधाजनक वित्तीय लेन-देन बहुत जरूरी है और इसमें एटीएम की एक महत्वपूर्ण भूमिका है. एटीएम सुविधा आज के आधुनिक जीवन की जरूरत बन गई है. हर कोई बैंक की भीड़ से बचने और जरूरत पड़ने पर आधी रात को भी पैसे मिल जाने वाले सुविधा का भोगी बन चुका है. ऐसे में एटीएम की सुविधा उपलब्ध करानेवाली उद्योग की प्रतिनिधि संस्था कन्फेडेरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री (कैटमी) की मार्च, 19 तक देश के आधे एटीएम बन्द करने की चेतावनी सरकार और डूबे कर्ज (एनपीए) का दवाब झेल रहे बैंकों के लिए नई चुनौती है.
Nearly 50% of Automated Teller Machines (#ATM) may be shut down by Mar 2019 due to unviability of operations, hitting hard both urban and rural population, and dealing a blow to the #digitization policy, the Confederation of ATM Industry (#CATMi) warned. https://t.co/S5wBDboNLp
— IANS Tweets (@ians_india) November 21, 2018
उद्योग संघ के प्रवक्ता के मुताबिक, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपग्रेड नकदी प्रबंधक मानक और कैश लोड करने के कैसेट स्वैप मेथड सम्बन्धी नियमों में हाल के नियामकीय बदलाव के कारण एटीएम का संचालन करना व्यवहारिक नहीं रह गया है. सिर्फ नई कैश लॉजिस्टिक और कैसेट स्वैम मेथड में बदलाव करने से 3500 करोड़ का खर्च आएगा. नोदबंदी से उद्योग अबतक उबर नहीं पाये हैं. ऐसे में धन के अभाव में उन्हें मजबूरन बड़ी तादाद में एटीएम मशीनों को बंद करना पड़ेगा. नरमी बरतने और समय सीमा बढ़ाने के बैंकों और एटीएम कम्पनियों के निवेदन को रिजर्व बैंक ने नामंजूर कर दिया है.
देश में इस समय लगभग 2 लाख 38 हजार एटीएम हैं, जिसमें 1 लाख 13 हजार एटीएम बंद हो जायेंगे. इससे बेकारी आयेगी, जो अर्थव्यवस्था में वित्तीय सेवाओं के लिए हानिकारक होगी. बंद होनेवाले ज्यादातर एटीएम ग्रामीण अंचल के होंगे. इसका असर कई अन्य वित्तीय असुविधाओं के साथ सरकार की ओर से मिलनेवाली सब्सिडी निकालने पर भी पड़ेगा.
इसमें कोई दो राय नहीं कि बैंकिंग मसलों की तरह एटीएम सेवा में सुधार की दरकार है. अक्सर मशीनें खराब होने या नगदी नहीं होने की दिक्कतें भी हैं. अपराध, फर्जीवाड़ा और हिसाब में गड़बड़ी की दिक्कतें भी हैं. इनके हल के लिए बैंकों और एटीएम उद्योगों को कदम उठाना चाहिए. रिजर्व बैंक के निर्देश बैंकिंग प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से प्रेरित है. लेकिन एटीएम सेवा देनेवाली कम्पनियों की परेशानियों को भी नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा.
ऐसे में जरूरी है कि बैंकों के संगठन और एटीएम कम्पनियां रिजर्व बैंक के साथ मिलकर आसन्न संकट का संतुलित समाधान करने के प्रयासों पर ध्यान दें ताकि ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े.
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