संजय शर्मा नहीं रहे. दिल जार जार है. आंखों से आंसू बहते जाते हैं. क्या ही एक जानदार, शानदार शख्स…
शर्माजी, छोटे कद के आदमी थे, मगर ऊंचा म्यार था. पत्रकारिता की दुनिया में जब खबर और पीआर का में अंतर मुश्किल हो, एडिटोरियल और एडवरटोरियल गड्डमड्ड हो गए हों तो शीशे की तरह साफ साफ काला और सफेद दिखाने वालों के छोटे से झुण्ड में संजय शर्मा ऊंचे, अलग दिखते थे.
लखनऊ और यूपी से बाहर जो लोग उन्हें नहीं जानते, बता दूं कि तीस साल की पत्रकारिता जो राष्ट्रीय सहारा, स्टार न्यूज और ईटीवी के रास्ते सिरे चढ़ी, उसने फिर एक सांध्य अखबार का रूप लिया. नाम था – 4PM
और फिर करारी हेडलाइन्स और मजबूत आवाज के साथ, दस ही सालों में इस अखबार ने अपना एक नाम बना लिया. छापे पड़े, विज्ञापन मिलने बन्द हुए, तमाम तरह से बाहें मरोड़ी गयी, मगर बन्दे ने समझौता नहीं किया.
पर यह तो स्टेपिंग स्टोन था. अखबार के आगे यूट्यूब चैनल शुरू किया. छोटा सा चैनल, जिसे मैं दो साल पहले देखना शुरू किया. कई लोग इस चैनल पर आते. अशोक वानखेड़े, अभय दुबे, मयूर जानी सहित दर्जन भर लोग जुड़े. कई स्टेट के चैनल बने और देखते ही देखते 4PM छा गया.
इंसान को सफलता के दौर में सबसे ज्यादा सावधान होना चाहिए. और वो अक्सर नॉन बायलॉजिकल बन जाता है. शर्माजी भी हो गए. पहले एक ज्योतिषी को बिठाकर रोज मोदी सरकार गिराने लगे, फ़िर एक म्यूजिक चैनल खोल लिया. चलो ठीक…
फिर नरेटिव बनाने लगे. एकदम धारा के खिलाफ. अडानी को डिफेंड करने लगे. लम्बा वीडियो डाला कि यह देश और विदेशी ताकतें, किस तरह अडानी के खिलाफ षडयंत्र कर रही हैं.
फीड में वीडियो आया, देखा. दस बीस मिनट तक यही सोचा कि कोई मजाक है. फिर अंततः दृश्य खुलकर सामने आया. चश्मदीद हूं, यकीन से कह सकता हूं…मेरे देखते देखते संजय शर्मा, अडानी नामक नाले में डूबकर बह गए.
वैसे अभी भी उनकी आत्मा भटक रही है. नए नए वीडियो बनाकर उनको कोस रहे हैं, जो उन्हें कोस रहे हैं. कोसा कोसी की प्रक्रिया में हम भौचक बैठे हैं. चू कट गया हमारा…
क्योकि यह संजय शर्मा का चैनल नहीं था. यह मेरा चैनल था. मैनें पैसे दिए थे, सब्सक्राइब किया था. मेलबॉक्स में आज भी ‘डेली अपडेट’ सब्जेक्ट से 5-5 एमबी के ईमेल आते हैं.
दुःख यह कि शर्माजी ने कुएं में छलांग अकेले नहीं लगाई. उनके साथ जुड़े दूसरे दर्जन भर रीढ़ वाले पत्रकारों की साख पर बट्टा लगा है. यह उनका भी चैनल था. पैसे भले ही न लगाये हों, पर इन लोगों ने बरसों की कमाई, नेकनामी, 4PM में इन्वेस्ट की थी, डूब गई.
मृतक को लोग भूल जाते हैं, बस वही नहीं भूलता, जिसके पैसे खाकर बन्दा स्वर्ग सिधार गया हो. तो अडानी की स्वर्गिक गोद में अठखेलियां करते शर्माजी तक बात पहुंचें तो उन्हें कहें कि मेरे पैसे लौटा दें. आप मेरा हजार लौटाएंगे, अडानी आपको लाखों देगा.
खैर, आप सबसे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि वह वाले @Editor_SanjayS नहीं रहे. दिल जार जार है. आखों से आंसू बहते जाते हैं. एक और हीरो, एक अच्छा शख्स…अडानी नामक गंदे नाले में डूब मरा.
- मनीष सिंह
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