सुब्रतो चटर्जी
मुसलमानों को दोयम दर्जे के नागरिक बना कर और उनकी आर्थिक गतिविधियों पर चोट पहुंचा कर संघी फिर से अपने द्विराष्ट्र सिद्धांत को आगे बढ़ा रहे हैं. मैं जब कहता हूं कि भारत एक और विभाजन का दंश झेलने के लिए तैयार रहे तो इसका मतलब भारत का कई टुकड़ों में बंटना नहीं है, यद्यपि भाजपा सरकार अगर 2029 तक रह गई तो इसकी आधारशिला ज़रूर रख देगी. अगर आपको खुली आंखों से यह नहीं दिखता है कि कैसे यूपी में चुनाव दर चुनाव अस्सी बनाम बीस की बात पर भाजपा जीत रही है तो आप बिल्कुल अंधे हैं.
इसी तर्ज़ पर भाजपा पहले अपने पाले हुए गुंडों से मुसलमानों पर हमला करवाती है और फिर उन्हीं लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज देती है या तथाकथित मुठभेड़ में मार देती है. अगर यह भी आपको नहीं दिखता है तो आप मानसिक तौर पर अपंग हैं.
भाजपा अपने सांसदों की बीफ़ कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए यूपी में तथाकथित गौ वध क़ानून पर काम करते हुए पशु धन की ख़रीद बिक्री पर रोक लगाती है और अपने तथाकथित गौ रक्षकों को लिंचिंग के लिए खुला छोड़ देती है. फलस्वरूप आवारा पशुओं की निर्बाध आपूर्ति उनके slaughter houses को कौड़ियों के दाम मिल जाते हैं और उनके मुनाफ़े में कई प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है. इन्हीं गोमांस निर्यातकों से चुनावी चंदा लेकर भाजपा हिंदू रक्षक बनी हुई है.
ऐसे क़ानूनों की आड़ में मुस्लिम लोगों के कसाई वर्ग की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी गई है. इस साधारण सी बात अगर आपकी समझ में नहीं आती है तो आप मानसिक दिव्यांग की श्रेणी में आते हैं.
पशु धन के बाद मुसलमान व्यापारियों का सबसे बड़ा कारोबार फल और सब्ज़ी की मंडी का है. भाजपा शासित प्रदेशों में फलों और उनके जूस के ठेलों पर मालिक के नाम लिखने का क़ानून मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार करने के लिए ही बनते हैं. भाजपा का एक भी सांसद या विधायक का टिकट किसी भी मुस्लिम को नहीं मिलता है. स्पष्ट संदेश है कि उनको मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए. इसे ही मोदी जी सबका साथ सबका विकास कहते हैं. अगर आपको यह सब नहीं दिखता है तो आप दो आंखों वाले अंधे हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आप नहीं समझते हैं कि पिछले दस सालों में भारत वाक़ई सांप्रदायिक आधार पर बंट कर दो अलग-अलग देश बन गया है तो आपको दीवार पर लिखी हुई इबारत नहीं दिखती है. मणिपुर में जिस तरह से ईसाई कुकियों पर अत्याचार किया जा रहा है, उसके फलस्वरूप पूरा उत्तर पूर्व भारत से मानसिक रूप से कटता जा रहा है.
कश्मीर हमें चाहिए लेकिन कश्मीरी नहीं वाली doctrine को आगे बढ़ाने की कोशिश जारी है. जम्मू कश्मीर में चुनावी हार जीत से कुछ नहीं बदलेगा. आने वाले महाराष्ट्र चुनाव में मराठी बनाम गुजराती का खेल चल रहा है. यह विभाजन नहीं तो और क्या है ? कुछ ही दिनों में आपको उत्तर दक्षिण का विभाजन भी देखने को मिलेगा और पूर्वी और पश्चिमी भारत का भी.
अभी तक मैंने आर्थिक आधार पर विषमताओं की बात नहीं की है. इस आधार पर भी भारत का विभाजन हो गया है, क्योंकि भाजपा सरकार की पूंजीपतिपरस्त नीतियों का असर अब दिखने लगा है. वर्ल्ड बैंक की ताज़ा रिपोर्ट आने के बाद भारत की जनसंख्या निम्न आधार पर विभाजित है –
- अनुमानित जनसंख्या – 140 करोड़
- पांच किलो राशन पर ज़िंदा – 82 करोड़
- पिछले दस सालों में बने नये ग़रीबों की संख्या – 13 करोड़
- ग़रीबी रेखा के नीचे जीने वाले – 95 करोड़
- पच्चीस हज़ार मासिक आय के नीचे – कुल 130 करोड़
तो बाबू यह देश सिर्फ़ दस बारह करोड़ actual purchasing power वाले लोगों का देश बन गया है. भारत की ग़रीबी रेखा का मतलब है रोज़ाना 200 रुपए कमाने वाले से कम. सन 1980 में जब Willi Grant Commission की भारत की ग़रीबी पर रिपोर्ट पहली बार आई थी तब हमें मालूम चला था कि भारत की 64% जनता below the double line of poverty है. आज यह प्रतिशत 80% के उपर है. अब आप अपने देश, अपने मज़हब और अपनी मूर्खता पर गर्व करने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि भिखारियों को इन सब बातों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है. जय अखंड भारत !
- चीप जस्टिस ऑफ़ इंडिया कहता है – ‘हमने महाराष्ट्र की अवैध सरकार को पूरे समय तक चलने दिया और आप चाहते हैं कि हम हरियाणा में धांधली से चुनी गई सरकार को शपथ ग्रहण से रोक दें ?’
- होने वाले चीप जस्टिस ऑफ़ इंडिया कहता है – ‘हम जानते हैं कि पांच मनोनीत विधायकों के चलते जम्मू कश्मीर में सत्ता का संतुलन बिगड़ सकता है, लेकिन आप पहले हाई कोर्ट जाइए और उसके बाद हम इस पर विचार करेंगे.’
- कर्नाटक हाई कोर्ट के चीप जस्टिस कहता है – ‘मस्जिद में घुस कर जय श्री राम के नारे लगाना और मुसलमानों को मां बहन की गाली देना कोई अपराध नहीं है, जिसके लिए किसी को सज़ा दी जाए.’
ये कुछ हालिया बानगी भर हैं भारतीय न्यायपालिका के पतन का और देश में फासीवाद लाने में इसकी सबसे प्रमुख भूमिका की. अब आप करते रहें इस संविधान को बचाने की लड़ाई. लेकिन सच यह है कि ‘The political power comes through the barrel of a gun’ – Mao Tse Tung.
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