फिल्हाल
संगतराश, तुम उसका बुत बनाना
अवतारी बता कर
बुतपरस्त नजूमियों, तुम उसका बुत बेचना
कलम, तुम्हें क्या कहूं
फिल्हाल
बस्स हंस सकता हूं
पोते पोतियों को आज शाम कई किस्से कहने हैं
और कहना है इसका किसी
जीवित या मृत व्यक्ति से
कोई लेना देना नहीं है
किसी व्यक्ति या घटना से मिलना
महज इत्तेफाक है
मैं चुप हूं
मैं चुप रहूंगा
मेरा चुप रहना ठीक है
उस पर यकीन है उसको यह यकीन दिलाना है
खुली आंखों से नहीं बंद आंखें उस पर यकीन करना है
अपने राष्ट्रवादी
देशभक्त होने का
उसे पल पल एहसास दिलाना है
वही नारे लगाने हैं जो चैनल चैनल
गली चौराहे, ह्वाट्सएप समूहों में वितरित हैं
भारत माता वह नहीं है जो मैं सोचता हूं
भारत माता वह है जो वह सोचता है
वह वैसी ही है जैसा वह देखता है, दिखाता है और वैसे ही देखने का मौखिक आदेश करता है
मेरी आंखें, मेरी जबान, सब, अब वही है
फैसला जो मेरे पक्ष
या विरुद्ध का है
हर हाल मान लेना है
बिला हू हुज्जत उसका सम्मान करना है
न दाढी रखनी है
न कलगीदार टोपी पहननी है
हरीमिर्च हरा भी नहीं होना है
झूठा सच्चा डर जिस किसी से हो
आमिर या हामिद की तरह
मुझे कुछ नहीं कहना है
बिल्कुल खामोश
सब कुछ अपने अंदर जज्ब कर लेना है
मैं पेट्रोल को चिंगारी दिखाना नहीं चाहता
गनीमत है मेरा नाम
उन नामों से मैच नहीं करता
फिल्हाल मैं उसके
शक के दायरे से बाहर हूं
मैं खुशनसीब हूं
और मैं, फिल्हाल
अपनी जिंदगी के सबसे आरामतलब क्षण में हूं
- राम प्रसाद यादव
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