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अमेरिकी साम्राज्यवाद के आर्थिक प्रतिबंध के विरोध में रुस का वित्तीय ‘परमाणु बम’ से हमला

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अमेरिकी साम्राज्यवाद के आर्थिक प्रतिबंध के विरोध में रुस का वित्तीय 'परमाणु बम' से हमला
अमेरिकी साम्राज्यवाद के आर्थिक प्रतिबंध के विरोध में रुस का वित्तीय ‘परमाणु बम’ से हमला

अमेरिकी दलाल पश्चिमी मीडिया का पुछल्ला भारतीय गोदी मीडिया ने अब पुतिन का भयानक चित्रण करना शुरू कर दिया है. कल तक पुतिन को हत्यारा, खुरेंजी, हिटलर घोषित करने वाला पश्चिमी मीडिया ने अब पुतिन को लेकर एक नया रिसर्च प्रस्तुत किया है कि पुतिन हिरण के खून से नहाने से नहाते हैं.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर दावा किया जा रहा है कि वो हिरण के सींग से निकले खून से नियमित तौर पर स्नान करते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्लादिमीर पुतिन कैंसर विशेषज्ञ के साथ दर्जनों यात्राएं की है. जिसमें ये भी दावा किया गया है कि राष्ट्रपति पुतिन हिरणों के सींगों से निकले तरल पदार्थ या अर्क से नहाते हैं. कहा जा रहा है कि पुतिन ऐसा करके अपने स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं. इससे उनकी शारीरिक ताकत बढ़ती है.

इससे पहले उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम उन जोंग के लेकर भी पश्चिमी मीडिया ने इसी तरह की अफवाह फैलाई थी. उसके अनुसार तो उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग मनुष्य ही नहीं हैं. उसके दुश्प्रचार के हिसाब से किम आदमखोर है, कि नाश्ते में एक गिलास ठंडा खून पीता है, कि रोज रात इंसानी मांस खाता है, कि हर अमावस्या की रात उसके दांत और नाखून बड़े हो जाते हैं और सिर पर सिंग निकल आता है … आदि जैसे फालतू और वहियात बातें साम्राज्यवादी झूठ का एक आयाम है.

अब चूंकि रुस ने यूक्रेन पर हमला कर बकायदा अमेरिकी साम्राज्यवादी खेमा को खुली चुनौती पेश कर दी है, इससे थर्राया अमेरिकी साम्राज्यवादी खेमा बौखला उठा है. अपनी बौखलाहट के बावजूद अमेरिकी साम्राज्यवादी खेमा पूर्व सोवियत संघ यानी रुस पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सकता क्योंकि रुसी हथियार अमेरिकी साम्राज्यवाद के किसी भी सामरिक हथियार से ज्यादा घातक और ज्यादा मारक है.

चूंकि अमेरिकी साम्राज्यवाद द्वारा रुस पर सीधे आक्रमण करना एक आत्महत्या होगी इसलिए उसने आर्थिक प्रतिबंध के जरिए रुस को घेरने का तरीका अपनाया. विदित हो कि सोवियत संघ के उद्भव के साथ ही पिछले सौ साल से रुस ने आर्थिक प्रतिबंध को झेला है. इसलिए इस प्रतिबंध से रुस पर ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा लेकिन पुतिन ने जो पश्चिमी देशों पर वित्तीय हमला किया है, वह एक परमाणु बम फोड़ने से कम नहीं है –

अमेरिकी साम्राज्यवाद के आर्थिक प्रतिबंध के विरोध में रुस ने जो वित्तीय हमला किया है, उसकी बेहतरीन विवेचना सामाजिक राजनीतिक विशेषज्ञ सुब्रतो चटर्जी ने इस प्रकार की है

रूस के केंद्रीय बैंक ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि 28 मार्च, 2022 तक रूसी रबल मुद्रा सोने के लिए बंधी है. कीमत 5,000 रूबल्स प्रति ग्राम सोने के बुलियन है. जब गोल्ड बुलियन की बात आती है तो रूस ने दुनिया भर में अमेरिकी डॉलर के मूल्य का लगभग 30% खत्म कर दिया.

बदतर, क्योंकि रूस केवल अपने तेल और गैस को रूबल्स में बेचेगा. अब रुस ने सोना का मूल 5,000 रूबल्स प्रति ग्राम तय किया है. तेल या गैस खरीदने की इच्छा रखने वाले किसी को भी या तो रूबल्स में भुगतान करना होगा या सोने में भुगतान करना होगा, और उन्हें अपने निविदा सोने के लिए अमेरिकी डॉलर मूल्य नहीं मिलेगा भुगतान के रूप में.

दुनिया भर के लोग सचमुच रूबल और डंपिंग डॉलर और यूरो में अपना पैसा फेंक रहे होंगे. रूस ने अभी जो किया वह वित्तीय मामले में एक परमाणु बम फोड़ने के बराबर किया है.

रूस ने रूबल को सोने के मूल्य से जोड़ कर और तेल की आपूर्ति सिर्फ़ रूबल के बदले करने की घोषणा कर डॉलर और यूरो के मूल्य को एक झटके में ३०% गिरा दिया है. इस प्रयोग की शुरुआत सबसे पहले लीबिया के कर्नल गद्दाफ़ी ने की थी, जिसके कारण अमरीका और पश्चिमी देशों ने उसे बर्बाद कर दिया.

रूस के इस कदम का मतलब यह है कि अब पूरी दुनिया, ख़ासकर पश्चिमी यूरोप और जापान भारी मात्रा में डॉलर की बिकवाली कर रूबल ख़रीदेंगे, क्योंकि सोने से लिंक हो जाने के बाद रूबल दुनिया की सबसे स्थायी मुद्रा रातोंरात बन गई है.

अमरीका, जो कि युद्ध सामग्री के सिवा बाक़ी किसी चीज़ का बड़े पैमाने पर अपने देश में उत्पादन नहीं करता, भयानक आर्थिक संकट में फंस गया है. डॉलर के सिकुड़ने की स्थिति में अमरीका अपने 306 बिलियन बजटीय घाटे की भरपाई नहीं कर पाएगा. परिणामस्वरूप भयानक बेरोज़गारी आएगी और सामाजिक सुरक्षा नेट पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा.

पुतिन ने प्रेस को बताया कि उन्होंने ये कदम अमरीका और यूरोप के उस फ़ैसले के बाद लिए हैं जिसके कारण विदेशों में रखे खरबों का रूसी सोने पर पाबंदी लग गई. यही वो आर्थिक एटम बम है जिसकी भनक जो बाइडेन को उस समय थी जब वह पोलैंड में पुतिन को हटाने की बात कर रहे थे.

सोवियत संघ ने पुतिन को केजीबी का प्रमुख यूं ही नहीं बनाया था.

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