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आरएसएस और चुनाव आयोग का कमीनापन देखिए

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अगर आपको लगता है कि दुनिया के सबसे बड़े क्रिमिनल लोगों को दस बीस करोड़ देशवासियों के मरने से कोई फ़र्क़ पड़ता है तो आप गधे हैं – सुब्रतो चटर्जी

आरएसएस और चुनाव आयोग का कमीनापन देखिए

वाकई दुनिया भारत को देख रही होगी. एक महीना पहले बंगलुरू में आरएसएस के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी बताया था कि ‘इस कोरोना काल में राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में दो महीने पहले तक देश के अलग-अलग 5 लाख, 45 हजार, 737 स्थानों पर जाकर 12 करोड़, 47 लाख, 21 हजार परिवारों से आरएसएस कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया. इस अभियान में लगभग 20 लाख कार्यकर्ता लगे जिन्होंने दिन रात मेहनत की.’. कुछ दिन पहले पता चला है कि खुद भैय्याजी जोशी कोरोना पॉजिटव हो गए हैं.

वाकई दुनिया बहुत शाबाशी भी दे रही है कि देश में इन्होंने बहुत बढ़िया ढंग से कोरोना फैलाया है. अभी भी कोई कमी नहीं की जा रही. रोज के दो लाख मामले निकल रहे हैं और हरिद्वार कुम्भ को समय से पूर्व समाप्त नहीं किया जा रहा.

अब चुनाव आयोग का कमीनापन देखिए. गुरुवार को सभी राजनीतिक दलों की बैठक रखी गयी. उसके सामने एक वास्तविक प्रस्ताव रखा गया कि बंगाल में बचे हुए चार चरणों के चुनाव एक साथ करा लिए जाए. दरअसल राज्य में कोरोना की स्थिति गंभीर रूप लेती जा रही है. कुछ दिन पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनावी रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार होने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग की खिंचाई की थी.

कोरोना के दौर में इतने लंबे 8 चरण के चुनाव कराने का कोई मतलब वैसे भी नहीं था लेकिन भाजपा का हर मुख्यमंत्री, केबिनेट मंत्री, गृहमंत्री और प्रधानमंत्री वहां रैली कर पाए इसलिए 8 चरण में चुनाव कराए गए.
अब जो देश भर में कोरोना के हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए एक साथ चुनाव करा लेने के प्रस्ताव में कोई गलत बात नहीं थी. अभी कुल 5 राज्यों में चुनाव थे, इनमें से 4 राज्यों में चुनाव समाप्त हो गए हैं, असम तो बिल्कुल लगा हुआ राज्य है. हर जरूरत की आसानी से व्यवस्था की जा सकती थी, लेकिन नहीं. मोदी के हाथों बंधक बना हुआ चुनाव आयोग साफ नकार गया कि ‘हम अपने प्रोग्राम में कोई बदलाव नहीं करेंगे.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने आयोग से कहा था कि ‘वह सुनिश्चित करे कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड नियमों का पालन सख्ती के साथ हो.’ लेकिन हम देख रहे हैं कि कोविड प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, उसके बावजूद भी उसने भाजपा को एक शब्द भी नहीं कहा ? जबकि बीजेपी सारे बाहरी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लेकर वहां रोज रैली कर रही है.

अभी बंगाल में रोज कोरोना मामलों के रिकॉर्ड बन रहे हैं. एक कांग्रेस प्रत्याशी की मौत तक हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद आयोग अपनी जिद पर अड़ा हुआ है.
शायद चुनाव आयोग ने बचे हुए चार चरणों में भी भाजपा की मदद करने के लिए पहले से ईवीएम में कोई सेटिंग कर रखी है. अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो वो सेटिंग बिगड़ जाएगी, तभी वो टस से मस होने को तैयार नहीं है.

न आज तक ऐसा भ्रष्ट चुनाव आयोग देखा, न ऐसी सत्तालोलुप पार्टी देखी, जिसने एक राज्य का चुनाव जीतने के लिए लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन खतरे में डाल दिया है.

  • गिरीश मालवीय

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