मैं पतिदेव से – ‘पता चला, मेरी मित्र रूचि का मित्र अपने कुछ मित्रों के साथ एक शादी से लौट रहा था. रास्ते में सुबह चार बजे के करीब भयानक दुर्घटना में कोई मित्र नहीं बचा. बहुत बुरा हुआ. ऐसा कैसे हो जाता है ? कहीं वो सोने तो नहीं लगा था ? ज्यादातर सड़क दुर्घटनायें इसीसमय होती हैं !’
पतिदेव – ‘हो सकता है वह रोड हिप्नोसिस का शिकार हो गया हो !’
मैं – ‘अब यह क्या बला है … ? हिप्नोसिस यानी सम्मोहन ? ऐसा भी कोई सम्मोहन होता है क्या ?’
पतिदेव – ‘बिल्कुल होता है. किसी भी वाहन की ड्राइविंग करते समय की एक शारीरिक स्थिति होती है. सामान्यतः लगातार ढाई-तीन घंटे की ड्राइविंग के बाद रोड हिप्नोसिस प्रारम्भ होता है. ऐसी सम्मोहन की स्थिति में आंखें खुली होती हैं लेकिन दिमाग अक्रियाशील हो जाता है. अतः जो दिख रहा है उसका सही विश्लेषण नहीं हो पाता, नतीजा सीधी टक्कर वाली दुर्घटना हो जाती है.’
मैं – ‘अच्छा ऐसा होता क्या है ऐसे टाइम ?’
पतिदेव – ‘इस सम्मोहन की स्थिति में दुर्घटना के 15 -20 मिनिट तक चालक (ड्राइवर) को न तो सामने के वाहनों का आभास होता है और न ही अपनी स्पीड का और जब 100 की स्पीड से टक्कर होती है तो भयानक दुष्परिणाम सामने आते हैं.’
मैं – ‘तो इससे बचने के कुछ उपाय भी तो होंगे ?’
पतिदेव – ‘बिल्कुल है ! रोड हिप्नोसिस या सड़क सम्मोहन की स्थिति से बचने के लिए हर दो से ढाई-घंटे ड्राइविंग के पश्चात रुकना चाहिए. चाय-कॉफी पियें, 5-10 मिनिट आराम करें और मन को शांत करें. आपस में बात करते रहें.
‘ड्राइवर के बगल में सो रहे व्यक्ति को सोने ना दें. तुम्हें याद होगा जब तुम बगल में सोने लगती हो तो मैं तुम्हें पीछे भेज कर बच्चों को आगे बुलावा लेता हूं … !’
मैं – ‘हां जिस कारण में अक्सर चिढ़ भी जाती हूं.’
पतिदेव – ‘हां और बच्चे चिढ़ाते भी हैं. और हां एक और उपाय ये है कि ड्राइविंग के दौरान स्थान विशेष और आते-जाते कुछ वाहनों को याद करते चलें. अगर आप महसूस करें कि पिछले 15 मिनिट का आपको कुछ याद नहीं है तो इसका मतलब है कि आप खुद को और साथ बैठे लोगों को मौत के मुंह में ले जा रहे हैं.
‘और हां रोड हिप्नोसिस या सम्मोहन अचानक रात के समय होता है जब अन्य यात्री सो या ऊंघ रहे होते हैं. अतः बेहद गंभीर दुर्घटना हो सकती है इसलिए दो दो ढाई ढाई घंटे के पश्चात, अगर कहीं का लंबा सफर कर रहे हो तो रास्ते में रुक कर चाय पानी, कॉफी, नाश्ता करते हुए चलना चाहिए.
‘कई बार चालक लोग रुकना नहीं चाहते. उन्हें लगता है जितना जल्दी गंतव्य स्थल पर पहुंच जायं उतना अच्छा है. ऐसी सिचुएशन में साथ चल रहे यात्रियों को जानबूझकर नेचर कॉल का बहाना बनाकर रोक देना चाहिए ताकि 10-20 मिनट का गैप हो जाए.’
मैं – ‘लेक्चर तो बहुत अच्छा दे रहे हो. जब हम लोग रुकने को कहते हैं तो कहीं जल्दी रुकते नहीं. 10 मिनट बाद रुकने को कहकर एक डेढ़ घंटे का सफर तो कर ही लेते हैं आप !’
पतिदेव – ‘अब तुमको रोड हिप्नोसिस के बारे में बता दिया. इसका मतलब यह नहीं कि हर आधे घंटे पर मैं गाड़ी रोकता चलूंगा !’
मैं – ‘हां हमें अच्छे से पता है कि गाड़ी वहीं रुकेगी जहां ड्राइवर का मन होगा. मैंने…., जाने दो ज्यादा न बोलें तो ही अच्छा है !’
पतिदेव – ‘नहीं तुम बोल लो. कुछ भी मन में नहीं रखने का ! काश रोड हिप्नोसिस की तरह कोई पति हिप्नोसिस भी होता !’
मैं – ‘क्या कहा !’
पतिदेव – ‘कुछ नहीं… मेरी इतनी मजाल….!’
- सीमा मधुरिमा, लखनऊ
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