बिहार की सबसे बजबजाती हुई समस्याओं में से एक स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रहे लूट के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल की ओर से आज ऐक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया है कि राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालय पर 01 अक्टूबर, 2024 को आन्दोलन किया जायेगा. राजद की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जगदानन्द सिंह ने बताया कि गांव के गरीब और आम जनता के हित में बिहार सरकार स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को तुरन्त रोके अन्यथा आंदोलन को और तेज किया जायेगा.
राजद के प्रदेश अध्यक्ष श्री जगदानन्द सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार की अदूरदर्शितापूर्ण नीतियों का नतीजा ही है कि 2019 से स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य चल रहा है और मार्च, 2025 तक सभी उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने को कहा गया है। बिहार सरकार की यह सोची समझी चाल थी तभी सरकार ने बिहार राज्य बिजली बोर्ड का विखंडन किया था क्योंकि इनको मार्केट ड्राईवेन पाॅलीसी से जोड़ा जाए और प्राईवेट कम्पनियों को फायदा पहुंचाया जाये.
सरकार की ओर से जबरन अधिकारी स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं. ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन कंपनियों ने भारी रकम सरकार और नौकरशाह को दिया है, जिसमें अडानी एनर्जी सॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी भी शामिल है, जिसके तहत 58 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का एग्रीमेंट नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड से किया है.
अब जो पुराने मीटर की तुलना में स्मार्ट मीटर से बढ़ा हुआ बिल उपभोक्ताओं के पास आ रहा है, इन कंपनियों ने जो रिश्वत सरकार और प्रशासन को दी है, इसके माध्यम से उपभोक्ताओं से वसूली कर रही है और राज्य सरकार उनकी सहायता कर रही है. पर अब तो हालात यह है कि गरीब परिवार के घरों की बिजली काटी जा रही है. और तो और अब तो पूरे गांव की ही बिजली काटी जा रही है.
जब हम जाति गणना की रिपोर्ट देखते हैं तो पाते हैं कि लगभग 35 प्रतिशत परिवार 6000 रूपये से कम में गुजारा कर रहे हैं और लगभग 30 प्रतिशत परिवार 10000 रूपये से कम में गुजारा कर रहे हैं. यह एक भयावह तस्वीर हमारे सामने प्रस्तुत करता है. वहीं दूसरी तरफ 2022 का रिसर्च गेट के माध्यम से यह पता चल रहा है कि लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण जनता के पास स्मार्ट फोन नहीं है. इसका मतलब है कि स्मार्ट मीटर इन सभी के लिए एक अभिशाप साबित हो रहा है.
बिहार में लगभग 2.76 करोड़ हाउस होल्ड है. स्मार्ट मीटर के खराबी के कारण अगर इन सभी उपभोक्ताओं से 100 रूपये भी ज्यादा वसूला जाता है, तब भी यह संख्या लगभग 276 करोड़ प्रत्येक महीने कम्पनी के पास अलग से मुनाफा जमा हो जाता है. सिर्फ बिहार ही नहीं अपितु अन्य राज्यों में भी स्मार्ट मीटर लगाया गया है, क्योंकि उपभोक्ताओं को सहूलियत होगी, परंतु यह तो आफत बन गई है और शिकायतों का अंबार लगा हुआ है.
आंकड़ों के अनुसार स्मार्ट मीटर को पूरे भारत में 1,16,36,952 (एक करोड़, सोलह लाख, छतीस हजार नौ सौ बावन) लगाये गये हैं वहीं सबसे गरीब प्रदेश बिहार में सर्वाधिक 32,35,830 (बत्तीस लाख, पैंतीस हजार, आठ सौ तीस) स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं. जबकि केरल सरकार ने इस योजना से अपने आप को अलग कर लिया है, क्योंकि केरल सरकार का मत है कि केंद्र सरकार ने बिना सोचे समझे सिर्फ अपनी कल्पनाओं के अनुसार ही माना कि हम उपभोक्ताओं की सभी समस्याओं का निवारण कर देंगे.
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने शिकायतों के बाद फिलहाल स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी है तो वहीं गुजरात में भी इसका विरोध होने लगा है. तब जाकर वहां की राज्य सरकार द्वारा संचालित गुजरात ऊर्जा विकास निगम ने कहा कि जबरदस्ती स्मार्ट मीटर नहीं लगाया जाएगा. जबकि बिहार में स्मार्ट मीटर लागू करने से लेकर अभी तक किसी भी स्टेक होल्डर से राय मशविरा नहीं किया गया है, क्योंकि सरकार भी मुनाफे की लाभार्थी है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय जनता दल ने जोर देकर कहा है कि वह सरकार से मांग करता है कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को तुरन्त रोका जाए और जनता के मुसीबतों को समझकर थर्ड पार्टी रिव्यू कमिटी गठन किया जाए ताकि स्मार्ट मीटर की प्रासंगिकता और इसकी खामियों को समझा जा सके.
उन्होंने आगे कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अगर मुख्यमंत्री ही कम्पनी से मिल जाए तो जनता का त्राहिमाम करना स्वभाविक है. ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि हम जनता की कठिनाईयों को लेकर सड़क से सदन तक इसका विरोध करें और संघर्ष करके स्मार्ट मीटर की खामियों और पुराने मीटर की तुलनात्मक अध्ययन कर जनता को राहत दिया जा सके.
राज्य सरकार के द्वारा पूरे बिहार में जिस तरह से स्मार्ट मीटर के नाम पर लूट मचाया जा रहा है, उसके खिलाफ पूरे राज्यभर के प्रखंड मुख्यालयों पर 01 अक्टूबर, 2024 को आन्दोलन किया जायेगा. साथ ही नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने जो 200 युनिट बिजली मुफ्त देने का संकल्प को पूरा किया जायेगा. विभिन्न राज्यों में नेशनल स्मार्ट ग्रीड मिशन के द्वारा दिये गये आंकड़ों से भी इसे समझा जा सकता है कि किस तरह से बिहार में स्मार्ट मीटर के नाम पर हड़बड़ी दिखाई जा रही है.
गौरतलब हो कि बिहार में स्मार्ट मीटर के नाम पर कंपनियों के लूट का बाजार गर्म है. अशिक्षित और स्मार्टफोन से अनजान लोग रिचार्ज के नाम पर बिचौलियों द्वारा लूटे जा रहे हैं. यानी, बिजली उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ रही है. एक उपभोक्ता संजीव श्रीवास्तव बताते हैं कि ‘बिजली विभाग के अधिकारियों और माननीय मुख्यमंत्री जी, आप लोग सब इंजीनियर या IAS ही है न ? कितना फ्रॉड कीजिएगा ? कितना लूटिएगा ? कम से कम इतना भयंकर फ्रॉड मत करिए नीतिश जी, अपने education का सम्मान करिए.
‘भाई, थोड़ा पढ़ा लिखा टाइप फ्रॉड करिए, इतना भयंकर फ्रॉड क्यों कर रहे हैं आप लोग ? कल 21/9/2024 को 7 घंटा बिजली नहीं था, दिन भर तार बदला जा रहा था खंभे पर. मैं नही बदल रहा था, आपका विभाग ही बदल रहा था तो bill उठा Rs. 326.18 ps.
20/9/2024 को दिन भर लाइट था, तो बिल आया Rs. 312.22.
‘हमको पता है कि हम लोग मजबूर हैं. आपसे ही बिजली ले सकते हैं. बोल बोल के पूरा बिहार थक गया कि स्मार्ट मीटर खराब है. आप नहीं सुने. हम लोग भी समझते है आपकी मजबूरी. आप सुन नहीं पाइएगा, पर हमारा नहीं पर थोड़ा अपना education का ही इज्जत रखिए, ऐसे चोरी डकैती ठीक नहीं. थोड़ा टेक्निकल तरीका अपनाइए. ऐसे तो बहुत बदनामी हो जायेगा जी. सुशासन ऐसे ही खाली खोल बचा है ऐसे पकड़ाएगा चोरी तो सुशासन का खोलवा भी गायब हो जाएगा.’
आऊटसोर्सिंग के तहत मात्र 13 हजार रुपये सैलरी पाने वाली नीना देवी (बदला हुआ नाम) ने राजद के इस आंदोलन का स्वागत करते हुए कहा कि ‘सरकार को बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं को दूर करना चाहिए ताकि स्मार्ट मीटर के अनाप-शनाप बिलों से उपभोक्ताओं को राहत मिल सके. इसके अलावा कस्टमर केयर को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और यथाशीघ्र दिल्ली के तर्ज पर बिहार में भी 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त किया जाये.’
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