Home गेस्ट ब्लॉग आदरणीय वरिष्ठ नागरिक जी, बैंकों में ब्याज से ख़ूब कमाई हो रही है न ?

आदरणीय वरिष्ठ नागरिक जी, बैंकों में ब्याज से ख़ूब कमाई हो रही है न ?

7 second read
0
0
391

आदरणीय वरिष्ठ नागरिक जी, बैंकों में ब्याज से ख़ूब कमाई हो रही है न ?

रविश कुमार

आदरणीय वरिष्ठ नागरिक जी, आपके क्या हाल हैं, बैंकों में ब्याज से ख़ूब कमाई हो रही है न ? आपके आस-पास या घरों में कोई पेंशनधारी होंगे ही, उनसे एक सवाल कीजिए कि 2014 के बाद से ब्याज से होने वाली कमाई में कितनी कमी आई है ? ये लोग सुबह-सुबह जग भी जाते हैं और हिन्दू मुस्लिम के अलावा हर ग़लत को सही साबित करने वाला मैसेज फार्वर्ड करने लगते हैं. जिन्हें पेंशन नहीं मिलती, उनकी भी हालत ख़राब है क्योंकि ब्याज दरों में कमी आते-आते उनकी कमाई निगेटिव में चली गई है.

दोस्तो, गाली लिख देने से मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता. मेरी बात ही असली बात है. यही मैसेज आप रिश्तेदारों के ग्रुप में डाल दें जहां ये रिटायर्ड लोग आप युवाओं का जीवन बर्बाद करने के लिए समाज में गंध फैला रहे हैं. आप देखिएगा उनमें से कोई जवाब नहीं देगा कि उनकी आर्थिक स्थिति कितनी ख़राब है.

भारतीय स्टेट बैंक की अर्थशास्त्री ने मान ही लिया कि बैंकों से होने वाली कमाई माइनस में जा चुकी है, जिसके लिए एक और शब्द है निगेटिव. तो इनकी मांग है कि सरकार बचत पर ब्याज से होने वाली कमाई पर जो आयकर लगाती है, उस पर विचार करे. फिर मोहतरमा कहती हैं कि कम से कम वरिष्ठ नागरिकों के ब्याज पर टैक्स न लें. सामान्य बचतकर्ताओं के खाते में चालीस हज़ार से अधिक ब्याज होने पर बैंक टीडीएस काट लेता है. वरिष्ठ नागरिकों से पचास हज़ार होने पर टैक्स लिया जाता है.

इसका मतलब है लोग भयानक आर्थिक तकलीफ में हैं लेकिन रूक जाइये. जल्दी ही फेल आर्थिक जीवन जीने वाले लोगों के नेता अमरीका जाते ही विश्व नेता और विश्व गुरु बताए जाने लगेंगे. ऐसे-ऐसे विश्लेषण पेश किए जाएंगे कि आपका सर चकरा जाएगा. लोगों के पास खाने के लिए नहीं है, लेकिन टीवी उन्हें बता देगा कि नेता विश्व नेता हो गए हैं.

वरिष्ठ नागरिक बैंकों में जमा अपने जीवन भर की पूंजी का हिसाब कर लें. पता चलेगा कि ब्याज से होने वाली जिस कमाई पर वे आश्रित हैं, वो माइनस में चली गई है. बैंकों की कमाई उधार पर मिलने वाले ब्याज से होती है. बचतकर्ता की कमाई बैंकों में जमा पैसे पर मिलने वाले ब्याज से होती है.

2014-15 के बाद बैंकों के लाखों करोड़ रुपये के लोन डूब गए. बड़े उद्योगपतियों ने लाखों करोड़ के लोन नहीं चुकाए. बैंकों को बचाने के लिए सरकार को ही बैंकों में पैसे डालने पड़े. बैंकों को ब्याज से कमाई नहीं हुई तो ज़ाहिर है वो आपकी बचत पर ब्याज नहीं दे सकते. बड़े उद्योगपतियों का मुनाफा कम नहीं हुआ है. उन्होंने निवेश कम कर दिया है.

उन्हें पता है कि ब्याज नहीं देने पर खास कुछ होता नहीं है. बस उनकी कंपनी बैंकों के विलय वाले पंचाट के ज़रिए किसी और के हाथ में चली जाई, जिसे वही लोग नई कंपनी बनाकर ख़रीद लेंगे. जब तक आप उद्योगपतियों को मिलने वाले संरक्षण और इस खेल को नहीं समझेंगे, आप नहीं जान पाएंगे कि आप ग़रीब क्यों हो हुए जा रहे हैं ?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि सेवानिवृत्त लोगों ने समाज में राजनीतिक मूर्खता और सांप्रदायिकता का प्रसार किया है. आम लोगों के बीच पढ़े-लिखे के रुप में मौजूद होने का लाभ उठाकर इन लोगों ने तमाम तरह की अनर्गल बातों का प्रसार किया. मुझे कई लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि परिवार और वृहद परिवार के व्हाट्स एप समूह में सेवानिवृत्त रिश्तेदारों से बात करना असहनीय हो गया है. वे अनियंत्रित हो गए हैं. सुबह शाम सांप्रदायिक और धार्मिक गौरव की बनावटी बातें भेजते रहते हैं. लेकिन अब आप उन रिश्तेदारों से पूछ सकते हैं कि ब्याज का क्या हाल है ? ख़र्च कैसे चल रहा है ? क्या ब्याज से होने वाली कमाई से चल पा रहा है ?

दूसरी एक और बात है. लाखों करोड़ों की संख्या में देश के युवा बेरोज़गार हैं. इन युवाओं का घर वरिष्ठ नागरिकों के ब्याज से चलता है. मामूली पैसे को लेकर रोज़ घरों में तना-तनी होती होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों ने समाज को हर तरह से बर्बाद किया है. उनके कार्यकाल के सात साल बाद इन आर्थिक नीतियों की विफलताएं काफी गहरी हो चुकी हैं.

यह उनके कार्यकाल का वस्तुनिष्ठ आर्थिक विश्लेषण है. इन असफलताओं के लक्षण शुरू से ही दिख गए थे कि इनका रास्ता क्या है. अगर इनकी राजनीति में धर्म का आवरण न हो तो कुछ नहीं बचा है. सवालों से बचने के लिए धर्म का गौरव ले आते हैं. अब तो पत्रकार भी इसकी आड़ लेने लगे हैं. आपके लिए तय करना मुश्किल है कि न्यूज़ चैनल के सामने बैठे हैं या किसी पूजा-हवन कार्यक्रम के. हर समय धर्म का गौरव और अतीत के गौरव की बहाली में आपको भटकाया जा रहा है. आपको आनंद भी आ रहा है.

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…