Home कविताएं रेशम का कीड़ा

रेशम का कीड़ा

2 second read
0
0
1,166

रेशम का कीड़ा

रेशम के कोए से
बाहर निकला कीड़ा,
उसने रेशम बनाने से
इंकार कर दिया,

मालिकों से कहा
कि बढ़ाओ पगार,
नहीं तो नहीं बुनेंगे
हम रेशम,

मालिक तो मालिक थे-
क्या भजन-कीर्तन मंडल,
क्या कटे हाथ के पंजे,
क्या धनुष तीर व तलवार,
सबने किया इंकार,
अब हड़ताल पर हैं
रेशम के कीड़े,

रेशम का बुनना
बंद हो चुका है,
अब तो पूरा देश,
अंबानी की रिफाइनरी
से निकले पलास्टिक
व फाइबर
के कपड़े पहन रहा है,

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र
व गुजरात
का सारा बढ़िया कपास
जा रहा है
आज भी विदेशों को,
वहां की कपड़ा मिलों
में बुने गये कपड़े
भारत के बाजारों में
मंहगे दामों पर
फिर बिक रहे हैं

वापस आ गया है
फिर ब्रिटिश युग,

हमारे बुनकरों की
स्त्रियां तो फिर से
घर के चरखे व करघे
पर बुने गये मोटे
कपड़ों के स्थान पर,
अंबानी की रिफाइनरी
से पैदा प्लास्टिक
व फाइबर के कपड़े
पहन रही हैं.

  • राम चन्द्र शुक्ल / 06-06-2021

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…