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आरएसएस का धर्म

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RSS के अनुसार देश में पिछले 70 सालों में रावण राज था, 2014 के बाद राम राज्य आ गया. रावण राज में कोई दलित, पिछड़ा, अछूत, गरीब नहीं था. सभी बराबर थे. एक दूसरे के सुख-दुःख के समान भागीदार बनते थे. रावण राज का ऐतिहासिक अर्थ है बौद्ध काल. गौतम बुद्ध के दर्शन पर स्थापित वह राज्य जिसमें हर किसी को मनुष्य होने का दर्जा हासिल था, ब्राह्मणवादियों ने उसे रावण राज की संज्ञा दी और राम राज की स्थापना की.

राम राज क्या है ? राम राज अर्थात ब्राह्मणवादियों का राज यानी मनुस्मृति आधारित राज. उच्च जातियों का राज, जिसमें दलितों-पिछड़ों, अछूतों, औरतों अर्थात, शूद्रों को मनुष्य नहीं माना जाता है. मनुष्यता से दूर रखा जाता है. शिक्षा से दूर रखा जाता है, बराबरी के स्तर पर खड़ा होने का अर्थ उसकी मौत होती है – मौत यानी नृशंस हत्या, जिसे देखने सुनने वाले के रौंगटे खड़े हो जाये.

मारवाड़ में हर होली खेली जाती है. इस होली में शुद्रों का खून बहाया जाता है. यानी शुद्रों की खून से होली खेली जाती है. लगातार पिछले कुछ दशकों से  मारवाड़ अंचल में प्रतिवर्ष होली खेलने की परंपरा है. पूरे मारवाड़ में जातीय आतंक की कहानी कोई नई नहीं है लेकिन पाली जिला इसमें लगातार सर्वोच्च स्थान बनाये हुए है.

जानकारी के अनुसार पाली जिले में अनुसूचित जाति के लोग हर साल होली पर तथाकथित उच्च वर्ग के निशाने पर रहते हैं. पिछले वर्ष का घेनड़ी कांड की आग अभी तक ठंडी हुई नहीं कि इस साल पुनः होली के मौके पर पिलोवानी गांव के मेघवाल समाज के लोगों के साथ राजपुरोहित समाज के सैंकड़ों लोगों ने हमला कर दिया है, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. क्या आपको नहीं लगता इस सबमें सरकार की मिलीभगत है ?

एक तरफ तो देश के अन्दर जातीय हिंसा जोरों पर है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा अपनी अकथनीय स्वरूप हासिल कर चुकी है, वहीं सवर्ण जातीयों की हिंसा से पीड़ित शुद्रों ने बड़ी तेजी से अपना धर्म बदलकर मुस्लिम धर्म या अन्य धर्मों को अपनाना शुरू कर दिया. खुद बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर ने बौद्ध धर्म अपना लिये. चूंकि अधिकांश शुद्रों ने अपना धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म को अपनाया इसलिए अपने गुलामों को यूं भागते देख सवर्ण जातीयों के अन्दर मुसलमानों के खिलाफ गुस्सा पनपने लगा, जिसके बारे में प्रख्यात पत्रकार रविश कुमार लिखते हैं –

जब आप सड़क पर चलते हैं तो कभी ध्यान दिया है कि सबसे ज्यादा क्या नज़र आता है, याद कीजिए, क्या आपको ये दिखता है कि किस ब्रांड की कार सबसे अधिक है या आपकी जैसी कार दूसरों ने भी ख़रीदी है ? ठीक से याद कीजिए तो इससे भी अधिक एक नारा दिखता है जो अगल-बगल से गुज़रती हर दूसरी तीसरी गाड़ी के पीछे लिखा होता है – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. आप इस नारे को लिखा देखे बिना भारत में सड़क की कोई यात्रा पूरी नहीं कर सकते.

क्या ये नारे सरकार की तरफ से लिखवाए गए हैं, या इन गाड़ी वालों ने अपनी तरफ से लिखवाए हैं या फिर पेंटर ही हर गाड़ी के पीछे लिखते जाता है – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. मेरे पास इन तीनों प्रश्नों के जवाब नहीं हैं. इतना ज़रूर लगता है कि भारत की सड़कों पर सबसे ज़्यादा दिखने वाला स्लोगन ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ ही होगा.

सवाल आपसे हैं कि इस स्लोगन को देखते हुए क्या आप बेटियों के बारे में सोचते हैं ? क्या ख़ुद को ख़तरे के रुप में देखते हैं जिनसे बेटियों को बचाना है या आप देख कर भी अनदेखा करते हैं ? शायद आप कुछ नहीं सोचते होंगे. मुझे आपकी यही बात सबसे अधिक पसंद है कि आप हर जगह लिखा देखते हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और कुछ नहीं सोचते हैं.

इसका मतलब यह भी हुआ कि सूचनाओं के अति प्रचार से समाज पर खास असर नहीं पड़ता है. संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत राज्य सरकारों को जो फंड दिए गए हैं, उसका 78.91 प्रतिशत विज्ञापन पर ख़र्च हुआ है. पांच साल में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत 848 करोड़ का बजट रखा गया है, इसमें से केवल 156 करोड़ योजना पर खर्च हुआ, बाकी सारा पैसा विज्ञापन पर. कायदे से इसे विज्ञापन योजना घोषित कर देनी चाहिए.

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का ज़िक्र इसलिए किया ताकि हम समझ सकें कि इस योजना का फायदा क्या हुआ. क्योंकि यूपी के एक महंत हैं जिनका नाम बजरंग दास है, उन्होंने एक समुदाय की बेटियों का बलात्कार करने की बात कही है. बकायदा जीप के ऊपर लाउडस्पीकर लगाकर, मस्जिद के सामने गाड़ी रोककर यह बात कही है. फिर यही महंत माइक हाथ में लेकर एक समुदाय की बेटियों को ललकारते सुने जाते हैं कि उनका बलात्कार करेंगे.

महंत बजरंग मुनि दास की सारी बातें ऐसी हैं कि हमें सुनाने की इच्छा तक नहीं हो रही. वैसे आल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबेर के ट्विटर हैंडल पर सुना तो पूरा सुना भी नहीं गया. यह व्यक्ति जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहा है उसे सिर्फ वही लोग सुन सकते हैं जो ऐसे लोगों को चुपचाप फैमिली और हाउसिंग सोसायटी के व्हाट्स एप ग्रुप में फार्वर्ड करते हैं और समर्थन करते हैं.

आप खुद को बेहतर समझते हैं. अगर इन बातों से आपत्ति नहीं है तो अपने घर के बच्चों को सुना सकते हैं. कम से कम पता चले कि जिन चीज़ों को आप अपनी चुप्पी से सपोर्ट कर रहे हैं वो क्यों आपके और आपके बच्चे के लिए ज़रूरी है. कानूनी बंदिशों के कारण हम इनकी बोली नहीं सुना रहे हैं. बलात्कार करने की ललकार के साथ जय श्री राम के नारे सुनकर सिहरन होती है.

आवाज़ नहीं है लेकिन एक समुदाय की बहू बेटियों के बलात्कार करने के एलान के वक्त इन युवाओं की प्रतिक्रिया तो आप पढ़ ही सकते हैं. कितना गौरव है, कितनी हंसी है. बलात्कार के पक्ष में खड़े समाज के इस सैंपल से भारत के युवाओं का भविष्य स्वर्णिम दिख रहा है. राम के नारे से मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. नवरात्रि के दिनों पर जब घरों में कन्या पूजन की तैयारी हो रही होगी, उस समय यह महंत एक मस्जिद के सामने आकर बहू बेटियों के बलात्कार की बात करते हैं.

ईश्वर के नाम पर छोटी-छोटी गलतियों से डर जाने वाले लोग महंत की इन बातों को कैसे सपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन जब वे महंगाई को सपोर्ट कर सकते हैं तो इन बातों को क्यों नहीं करेंगे ! इतना सवाल तो बनता ही है. कम से कम इस सवाल से तो लोगों को यह कहने का मौका तो मिलेगा कि वे सपोर्ट नहीं करते हैं. इन हंसते खेलते लड़कों की तरह आप अपने बेटों को बनाना चाहेंगे या अमरीका भेजना चाहते हैं हायर डिग्री के लिए.

आल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबेर ने एक और वीडियो जारी किया तो उसमें महंत की जीप पर और जीप के अगल-बगल पुलिस भी नज़र आ रही है. साफ है महंत को पुलिस सुरक्षा मिली होगी. बजरंग दास मुनि अपनी सफ़ाई दे रहे हैं और इस सफ़ाई में अस्सी और बीस परसेंट की बात कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है सफ़ाई कम अपनी बात को सही साबित कर रहे हैं. दूसरे समुदाय पर पत्थरबाज़ी की तैयारी का आरोप लगा रहे हैं फिर प्रशासन क्या कर रहा था, महंत को क्यों बलात्कार की धमकी देनी पड़ी ? महंत कहते हैं उन पर नौ बार हमला हुआ है लेकिन क्या प्रशासन ने उन हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किया, जो महंत बहू बेटियों के बलात्कार की धमकी दे रहे हैं ?

महंत को आखिर यह हौसला कहां से आया कि पुलिस की मौजूदगी में एक समुदाय के धर्म स्थल के सामने जाकर उसकी बेटियों को बलात्कार की धमकी दे ? अमरीका और आस्ट्रेलिया में रहने वाले NRI अंकिल जो रोज़ व्हाट्स एप के वीडियो काल से भारत में ज़हर फैला रहे हैं, क्या महंत के इस वीडियो को वहां के मेडिसन स्कावयर में चलाना चाहेंगे ? न्यूयार्क के टाइम्स स्कावयर पर दिखाना चाहेंगे ? क्या धर्म के नाम पर बलात्कार की मान्यता हासिल की जा रही है ?

महंत के साथ खड़े छोटे छोटे बच्चों पर क्या असर पड़ेगा, जब ये बलात्कारी बन कर घूमेंगे ? तो क्या आपको लगता है कि ऐसे लोगों के रहते समाज में किसी की भी बेटियां सुरक्षित रह पाएंगी ? क्या आप ऐसे किसी महंत के पास जाना चाहेंगे जो आपके बच्चों को बलात्कारी होने के लिए उकसाता हो ? एडीजी ला एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने कहा है सख्त कार्रवाई की जाएगी.

पिछले साल एक ऐसे ही बीमार युवक ने महान खिलाड़ी विराट कोहली की छोटी-सी बच्ची के बलात्कार की धमकी दे दी थी. वह साफ्टवेयर इंजीनियर था. नौकरी नहीं थी. लोग काफी नाराज़ हो गए. लोगों की नाराज़गी के दबाव में उस नौजवान को गिरप्तार कर लिया गया. क्या लोग इस महंत से भी नाराज़ हैं ? क्या यह महंत भी गिरफ्तार होगा ? राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामने का संज्ञान लिया है.

क्या महंत बजरंग मुनि पर पहले भी केस दर्ज हुए हैं, और उन मामलों में क्या प्रगति हुई है ? महंत बजरंग मुनि को लेकर हमें सितंबर और अक्तूबर 2020 की दो खबरें मिली हैं. एक खबर 12 सितंबर, 2020 को जागरण में छपी है. इस खबर में बताया गया है कि बीजेपी के नेता साकेत मिश्र ने बड़ी संगत के प्रबंधक बजरंग मुनि के खिलाफ जमीन पर कब्जे को लेकर मोर्चा खोल दिया और बड़ी संख्या में लोगों के साथ थाने का घेराव करने पहुंचे.

उन्होंने आरोप लगाया कि बजरंग मुनि स्थानीय लोगों की जमीनों पर कब्जे करने के लिए धमका रहे हैं. गार्डों को भेजकर जमीन खाली करने को भयभीत किया जा रहा है. कमाल सरांय निवासी पुत्तीलाल शुक्ल ने बजरंग मुनि के खिलाफ थाने में एक तहरीर भी दी, जिसमें कहा गया कि उनके घर व बाग को जबरन अपने नाम करने के लिए मुनि दबाव बना रहे हैं, जबकि वह अपने घर 1940 से रह रहे हैं.

एसडीएम अमित भट्ट ने मौके पर पहुंचकर साकेत मिश्र से वार्ता की.(अमर उजाला चेंज इन) इसके बाद दूसरी खबर 15 अक्तूबर, 2020 की है जो अमर उजाला में छपी है कि शहर के रोटी गोदाम स्थित भाजपा नेता साकेत मिश्र के आवास पर कुछ लोगों ने लोहे के टुकड़े से हमला कर दिया है. घटना से भाजपा का परिवार सहमा हुआ है. इस मामले में केस दर्ज हुआ है. हर दिन एक धर्म विशेष के खिलाफ तरह तरह के वीडियो आ रहे हैं, हम कितना दिखाएं और आप कितना देखेंगे. कहीं झंडा लेकर किसी मस्जिद के बाहर हर दिन तमाशा हो रहा है.

उकसाने की कोशिश हो रही है. कहीं शपथ दिलाई जा रही है कि एक धर्म विशेष की दुकानों से सामान नहीं खरीदना है. कई लोग शपथ ले रहे हैं. ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई नहीं होती और होती भी तो ऐसी घटनाओं पर असर नहीं होता. यह सब इक्का दुक्का घटनाएं नहीं हैं.

आपको भी पता है कि आपकी हाउसिंग सोसायटी में कौन कौन लोग ऐसे मैसेज और वीडियो शेयर करते है और खुद तो अच्छी कारों में दफ्तर के लिए निकल जाते हैं लेकिन गांव कस्बों के नौजवान इन ज़हरीले वीडियो के चक्कर में हमेशा के लिए पैदल हो जाते हैं. क्या आपको नहीं लगता है कि इस तरह के वीडियो, ललकारने वाले कार्यक्रमों को बंद होना चाहिए, इनमें लगने वाले नारों से एक समुदाय विशेष पर क्या असर पड़ता होगा ?

अगर आप यह समझते हैं कि यह कुछ लोगों का काम है तो आप ग़लत हैं. दरअसल इस तरह की हरकत करने वाले दो तरह के लोग होते हैं. एक कुछ लोग होते हैं और बाकी चुप लोग होते हैं. कुछ लोग हरकत करते हैं और चुप लोग समर्थन करते हैं. कुछ और चुप को मिलाकर देखें तो समाज का एक बड़ा तबका इस काम में उद्योग की तरह लगा है. अपने ही बच्चों में दंगाई मानसिकता भर रहा है. इसकी आड़ में हर दिन नागरिकों के अधिकारों का दमन होता जा रहा है.

अरूण प्रकाश मिसरा लिखते हैं – 250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि आधुनिक विश्व मतलब 1800 के बाद जो दुनिया मे तरक्की हुई, उसमें पश्चिमी मुल्कों का ही हाथ है. हिन्दू और मुस्लिम का इस विकास में 1% का भी योगदान नहीं है. आप देखिये कि 1800 से लेकर 1940 तक हिंदू और मुसलमान सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये लड़ते रहे. अगर आप दुनिया के 100 बड़े वैज्ञानिकों के नाम लिखें तो बस एक या दो नाम हिन्दू और मुसलमान के मिलेंगे.

पूरी दुनिया मे 61 इस्लामी मुल्क हैं, जिनकी जनसंख्या 1.50 अरब के करीब है, और कुल 435 यूनिवर्सिटी हैं जबकि मस्जिदें अनगिनत. दूसरी तरफ हिन्दू की जनसंख्या 1.26 अरब के करीब है और 385 यूनिवर्सिटी हैं जबकि मन्दिर 30 लाख से अधिक. अकेले अमेरिका में 3 हज़ार से अधिक और जापान में 900 से अधिक यूनिवर्सिटी है़ जबकि इंगलैंड और अमेरिका दोनों देशों में करीब 200 चर्च भी नही हैं.

ईसाई दुनिया के 45% नौजवान यूनिवर्सिटी तक पहुंचते हैं. वहीं मुसलमान नौजवान 2% और हिन्दू नौजवान 8 % तक यूनिवर्सिटी तक पहुंचते हैं. दुनिया की 200 बड़ी यूनिवर्सिटी में से 54 अमेरिका, 24 इंग्लेंड, 17 ऑस्ट्रेलिया, 10 चीन, 10 जापान, 10 हॉलैंड, 9 फ्रांस, 8 जर्मनी, 2 भारत और 1 इस्लामी मुल्क में हैं जबकि शैक्षिक गुणवत्ता के मामले में विश्व की टॉप 200 में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी नहीं आती है.

अब हम आर्थिक रूप से देखते हैं. अमेरिका की जीडीपी 14.9 ट्रिलियन डॉलर है जबकि पूरे इस्लामिक मुल्क की कुल जी.डी.पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है. वहीं भारत की 1.87 ट्रिलियन डॉलर है. दुनिया में इस समय 38000 मल्टीनेशनल कम्पनियाँ हैं. इनमे से 32000 कम्पनियाँ सिर्फ अमेरिका और यूरोप में हैं. अब तक दुनिया के 10000 बड़े अविष्कारों में 6103 अविष्कार अकेले अमेरिका में है. दुनिया के 50 अमीरो में 20 अमेरिका, 5 इंग्लेंड, 3 चीन, 2 मक्सिको, 2 भारत और 1 अरब मुल्क से हैं.

अब आपको बताते हैं कि हम हिन्दू और मुसलमान जनहित, परोपकार या समाज सेवा में भी ईसाईयों से पीछे हैं. रेडक्रॉस दुनिया का सब से बड़ा मानवीय संगठन है. इस के बारे में बताने की जरूरत नहीं है.

बिल गेट्स ने 10 बिलियन डॉलर से बिल- मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की बुनियाद रखी जो कि पूरे विश्व के 8 करोड़ बच्चों की सेहत का ख्याल रखती है जबकि हम जानते हैं कि भारत में कई अरबपति हैं. मुकेश अंबानी अपना घर बनाने में 4000 करोड़ खर्च कर सकते हैं और अरब का अमीर शहज़ादा अपने स्पेशल जहाज पर 500 मिलियन डॉलर खर्च कर सकता है. राजनीतिक दलों के सेवन स्टार रेटेड कार्यालय बन जाते हैं मगर मानवीय सहायता के लिये कोई आगे नही आ सकते हैं.

यह भी जान लीजिये कि ओलंपिक खेलों में अमेरिका ही सब से अधिक गोल्ड जीतता है. हम खेलो में भी आगे नहीं. हम अपने अतीत पर गर्व तो कर सकते हैं किन्तु व्यवहार से स्वार्थी ही हैं. आपस में लड़ने पर अधिक विश्वास रखते हैं, मानसिक रूप से हम आज भी अविकसित और कंगाल हैं. बस हर हर महादेव, जय श्री राम और अल्लाह हो अकबर के नारे लगाने मे हम सबसे आगे हैं.

अब जरा सोचिये कि हमें किस तरफ अधिक ध्यान देने की जरुरत है. क्यों ना हम भी दुनिया में मजबूत स्थान और भागीदारी पाने के लिए प्रयास करें बजाय विवाद उत्पन्न करने के और हर समय हिन्दू मुस्लिम करने के ? और हां इसके लिए केवल सरकारें या राजनीति ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि सब कुछ जानते हुए आप और हम सब जिम्मेदार हैं क्योंकि हम कभी निष्पक्ष न थे और न हैं , हम भी इन्हीं बातों के भक्त बने हुए हैं. तो तय करें आज से हम इंसान बनना शुरू कर दें.

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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