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पाकिस्तान के साथ संबंध : यह महानता का नहीं समानता का युग है

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हिमांशु कुमार

एक बार मैं सोनी सोरी वाले मामले की सुनवाई के लिये सुप्रीम कोर्ट में गया हुआ था. मैं कोर्ट के बाहर धास पर बैठ कर अपने केस के नम्बर का इन्तज़ार कर रहा था, तभी एक बुजुर्ग मेरे पास आये. उन्होंनें मुझ से पूछा कि क्या मैं उनकी एक मदद कर सकता हूं ? मैंने कहा बताइये क्या बात है ? उन्होंने मुझे अपनी फाइल दिखाई.

उन्होंने बताया कि वह भारत सरकार के लिये काम करते थे. उन्हें जासूसी के लिये पाकिस्तान भेजा गया था. उन्हें पाकिस्तान में पकड़ लिया गया. वह पाकिस्तानी जेलों में बारह साल रहे. सरकार ने उनके साथ अपना कोई भी संबंध होने से इंकार कर दिया. भारतीय और पाकिस्तानी कैदियों की अदला-बदली में उन्हें भी रिहा कर दिया गया था, तब से वह एक से दूसरे दफ्तर अपने बकाया पैसे के लिये भटक रहे हैं. मैने उन बुजुर्ग को अपना और अपने कुछ वकील मित्रों के फोन नम्बर दे दिये. मैं नहीं जानता उसके बाद उनका क्या हुआ.

इसी तरह कुछ वर्ष पहले पाकिस्तान में काम कर चुके एक भारतीय जासूस मोहन लाल की मैंने एक आत्मकथा पढ़ी थी, उसका नाम था ‘मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था.’ उस किताब में बताया गया है कि कैसे भारत सरकार भारतीय युवकों को भर्ती करती है और उन्हें सीमा पार करा देती है.

उस किताब में बताया गया है कि किस तरह हिन्दु होने के बावजूद उसका खतना किया गया ताकि पाकिस्तान मे पकड़े जाने पर यह ना पता चल सके कि वह हिन्दु है. उस जासूस ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि उसे पाकिस्तान में पकड़ लिया गया और जेल में डाल दिया गया था, उसके बाद भारत सरकार ने जासूस मोहनलाल से अपना संबध होने से इंकार कर दिया था.

जो अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति के बारे में जानते हैं, वो जानते हैं कि दूसरे देशों में अपने जासूस भेजने का काम अधिकांश देश करते हैं. जैसे भारत में आकर कसाब आतंकवादी हरकत करता है और फांसी पाता है, ठीक वैसे ही पाकिस्तान में सरबजीत को बम विस्फोट करने और 14 पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या के आरोप में फांसी दी जाती है.

जैसे आपकी बंबईय्या फिल्मों में आतंकवादी पाकिस्तानी होते हैं, वैसे ही पाकिस्तान में बनी फिल्मों में आतंकवादी हिन्दु नाम वाले भारत के होते हैं. आपको अपना देश महान लगता है तो उन्हें अपना देश महान लगता है. आपको अपनी सेना वीर लगती है, उन्हें अपनी सेना वीर लगती है.आपको अपना धर्म सबसे महान लगता है, उन्हें अपना धर्म महान लगता है.

अखबारों मे खबर पढ़ रहा हूं कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुस कर पचास आतंकवादियों को मार डाला है. हालांकि मुझे लगता है यह खबर मोदी भक्तों द्वारा फैलाई गई झूठी खबर हो सकती है. लेकिन अगर ऐसा किया गया हो तो पाकिस्तान की जनता को क्या खबर मिलेगी ? पाकिस्तान के अखबार छापेंगे कि भारतीय आर्मी ने एक बर्बर हमले में 50 बेकसूर नागरिकों की हत्या कर दी.

5O लोगों की हत्या कर के भारत की कौन सी समस्या का हल हो जायेगा ? क्या पाकिस्तान डर जायेगा और आगे से हमला नहीं करेगा ? क्या इससे पाकिस्तान बेइज्ज़ती महसूस करेगा ? क्या आतंकवाद कम हो जायेगा ? क्या भारतीय सैनिक ज़्यादा सुरक्षित हो जायेंगे ?

आप मान क्यों नहीं लेते कि दोनों देशों की जनता एक जैसी है. आप मान क्यों नहीं लेते कि दोनों देशों की सरकारें भी एक जैसी हैं. आप मान क्यों नहीं लेते कि आपका और उनका मज़हब एक जैसा है और दोनों में से कोई भी ज्यादा महान नहीं है. विश्वास कीजिये युद्ध एक बिजनेस है. विश्वास कीजिये आपकी समस्या पड़ोसी देश नहीं है. आपकी समस्या बेरोज़गारी, जातिवाद, आदिवासियों पर हमले और आर्थिक गैर बराबरी है.

राष्ट्रवाद के बुखार और पड़ोसी मुल्क से नफरत के जुकाम ने आपकी हालत खराब कर दी है. होश मे आइये. समझदार इंसान बन जाइये.

एक हिन्दुत्व आतंकी असीमानन्द ने पाकिस्तान जाने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में धमाका कर के 67 पाकिस्तानी नागरिकों को मार डाला था. हिन्दुत्ववादी सरकार ने उस आतंकी को रिहा कर दिया लेकिन हमारी रट है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की मदद करता है ? अगर दूसरे की बजाय अपनी गलतियां देखोगे तो दुनिया में दुःख दूर हो जायेंगे. वो एक पागल ने कहा था ना –

‘बुरा जो खोजन मैं चला, बुरा ना मिलया कोय,
जो मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा ना कोय”

हम पागलों का वो गुरु जिन्दा होता तो वो भी भक्तों के पत्थर खा रहा होता.

एक भाई ने सैनिकों के ताबूतों का फोटो भेजा है और लिखा है ‘सैनिकों के सम्मान में जय हिन्द ज़रूर लिखें.’ मैने उन्हें यह जवाब दिया है – ‘आप कहते हैं सैनिकों के सम्मान मे जय हिन्द ज़रूर लिखें, जय हिन्द मतलब भारत राष्ट्र की जय. भारत राष्ट्र की जय मतलब, भारत राष्ट्र की सेना की किसी युद्ध में जय, क्योंकि अगर युद्ध ही नहीं होगा तो फिर किसी सेना की जय भी नहीं होगी, युद्ध नही होगा तो किसी की पराजय भी नहीं होगी.

तो हमें जय के लिये एक युद्ध चाहिये. हमें युद्ध क्यों चाहिये ? या तो भूमि पर कब्जे के लिये या दूसरे पक्ष को अपमानित करने के लिये. ना तो आपको पड़ोसी राष्ट्र की भूमि चाहिये, ना पड़ोसी राष्ट्र को आपकी भूमि चाहिये. तो आप और आपका पड़ोसी राष्ट्र एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये लड़ रहे हैं.

आप और आपका पड़ोसी राष्ट्र जानता है कि आप दोनों मे से कोई भी अन्तिम रूप से कभी नहीं जीतेगा. दोनों राष्ट्र जानते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा कि दोनों मे से एक राष्ट्र मिट जायेगा और दूसरा राष्ट्र हमेशा के लिये मूंछ मरोड़ कर शान्ति से जियेगा. तो इसका मतलब है कि फिर ये दूसरे को नीचा साबित करने की लड़ाई है.

लड़ाई यह साबित करने की कि तुम्हारे राष्ट्र के निवासियों का धार्मिक विश्वास हीन और क्रूर है. लड़ाई यह सिद्ध करने की है कि हमारा धर्म तुम्हारे राष्ट्र के धर्म के मुकाबले महान है. लड़ाई इस बात की है कि तुम्हारा राष्ट्र राजनैतिक तौर पर गलत और चालाक है.

तो ना तो मैं यह मान सकता हूं कि पड़ोसी देश के निवासियों के धार्मिक विश्वास के कारण मेरे राष्ट्र को पड़ोसी राष्ट्र से नफरत करनी चाहिये. ना मैं यह मानता हूं कि पड़ोसी राष्ट्र के साथ राजनैतिक मुद्दों को सुलझाने के लिये सैनिकों को आगे करना चाहिये.

मेरे देश के सैनिक और पड़ोसी देश के सैनिक गरीब बन्दूकधारी मजदूर हैं, जो आर्डर मिलने पर दिये गये धन्धे के रूप मे हत्यायें कर देते हैं, इसलिये चाहे मेरे राष्ट्र का सैनिक मरे या पड़ोसी राष्ट्र का सैनिक मरे , मुझे मनुष्य के मरने पर एक जैसा ही दुःख होता है.

अपने सैनिकों के मरने पर मेरे मन मे कोई गर्व या पड़ोसी राष्ट्र के प्रति गुस्सा नहीं आता इसलिये जय हिन्द या जय पाकिस्तान की पुरानी बातों से आगे बढ़ने की तैयारी कीजिये. ना आपका राष्ट्र महान है, ना आपकी सेना महान है ना आपका धर्म महान है. याद रखिये आप खुद को जितना महान मानते हैं, उतना ही महान आपका पड़ोसी राष्ट्र खुद को समझता है.

यदि आप जवान लाशों का सिलसिला बन्द करना चाहते हैं तो झूठी महानता के अपने भ्रम को समझ लीजिये और पड़ोसी से दोस्ती कर लीजिये. यह महानता का नहीं समानता का युग है.

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ROHIT SHARMA

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