एक मामूली से फिल्म ‘पद्मावत’ का प्रमोशन करने के लिए 3 महीने तक करणी सेना नामधारी राजपूत – जिनका इतिहास कायरता और धनलोलूपता से भरा हुआ है – ने देश भर में कोहराम मचा दिया. मीडिया घरानों के पास इस फिल्मों के नाम पर 3 महीने तक बहस कराने के सिवा और कोई काम बचा ही न था, परन्तु जब नामधारी देशभक्तों की टोली छोटे स्कूली बच्चों से भरे एक बस पर हमला कर दिया तब जाकर लोगों के कान खड़े हुए और किसी हद तक मामले को ठंढ़े बस्ते में डाला गया. इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि भाजपा सरकार देश की पूरी मशीनरी को इन फर्जी देशभक्तों के हिफाजत में लगा रखी थी. इन पर कोई कार्रवाई तक नहीं की गई, जबकि किसानों-छात्रों की छोटी-छोटी मांगों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के बाद भी पुलिस गोलियां चलाती है, और आन्दोलनकारियों की हत्या करती है.
उपरोक्त घटना में एक चीज जो साफ तौर पर उभर कर सामने आई वह थी भाजपा और उसकी सरकार को छोटे बच्चों तक से नफरत. वह अपना राजनैतिक हित साधने के लिए बच्चों तक की बलि ले लेती है. इस बात की पुष्टि एक अन्य घटना में भी साबित हुई जब दिल्ली सरकार की ओर से बच्चों के खेलने के लिए पार्क में जब झूले आदि लगवाए गए तो भाजपा पार्षद ने उस झूले को ही उखाड़ डाला. लोगों खासकर महिलाओं के विरोध करने और स्थानीय अन्य लोगों को बुलाने की बात करने के बावजूद भाजपा के ये पार्षद बच्चों के खेलने के झूले लगने से इतने गुस्से में थे कि उस झूले को उखाड़ने में लगे रहे.
इससे एक बात तो साबित होती है कि भाजपा और आरएसएस अपने राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए छोटे बच्चे तक को नहीं बख्शता है. एक मोबाईल से खींची गई विडियो सारी सच्चाई को ब्यां कर देती है –
विडियो ट्विटर से साभार
तो वहीं ट्विटर पर लोगों ने अपने-अपने भड़ास भी अपने-अपने तरीके से निकाले हैं.