गिरीश मालवीय
कोई पूछ नही रहा है कि रेलवे आखिर रेगुलर ट्रेन वापस कब चलाएगा ? पूरे 10 महीने होने को आए हैं. कोरोना की वजह से सामान्य ट्रेनों का संचालन जो बन्द किया गया था, उसे अब तक शुरू नहीं किया गया है. थोड़ी बहुत स्पेशल ट्रेनें चला दी गयी है, उसमें भी किराया 20 से 30 प्रतिशत बढ़ा कर लिया जा रहा है.
रेलवे ने पहले 12 अगस्त तक रेगुलर ट्रेन सेवा बंद करने का फैसला लिया था. फिर उसे कोरोना केसेस की बढ़ती संख्या के नाम पर 30 सितंबर तक बढ़ाया. 30 सितंबर के बाद अब तक कोरोना केसेस मिलने की रफ्तार आधी रह गयी है लेकिन रेगुलर ट्रेनों का संचालन अब भी बन्द है. आम जनता को इससे बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्पेशल ट्रेन के नाम पर पैसेंजर्स से अधिक रुपए लिए जा रहे हैं. पूजा स्पेशल ट्रेन में 30 प्रतिशत से अधिक किराया वसूला जा रहा है.
अभी सिर्फ लंबी दूरी की स्पेशल ट्रेनें ही चल रही हैं. लोकल ट्रेन नहीं चलने से दिल्ली, इंदौर, कानपुर जैसे व्यापारिक केंद्रों के आसपास के क्षेत्रों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. कई रूट्स पर तो स्पेशल ट्रेन तक भी नहीं चल रही है. बहुत से छोटे व्यापारी बन्धु ऐसे थे जो सुबह अपने घर से निकलते, दोपहर में बड़े शहरों में पहुंचते. 3-4 बजे तक खरीदारी करते और शाम में 4-5 बजे की ट्रेन पकड़कर रात में घर पहुंच जाते थे. यानी एक दिन में पूरा बिजनेस ट्रिप हो जाता था लेकिन अब उनका व्यापार पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है, लंबी अवधि के रोगों के रोगियों को भी इलाज में बेहद असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वी. के. यादव ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब तक कोरोना की स्थिति सुधरती नहीं है, तब तक नया टाइम टेबल नहीं लाया जाएगा. साथ ही रेगुलर ट्रेन कब से चलेगी, ये बताना फिलहाल मुमकिन नहीं है. किंतु जिस नए टाइम टेबल की बात की जा रही है, उसमें रेलवे 500 ट्रेनों को बंद कर सकता है. ट्रेनों के साथ-साथ 10 हजार रेलवे स्टॉपेज को भी बंद करने फैसला कर सकती है.
जीरो बेस्ड टाइम टेबल पर काम कर रही रेलवे ने इस दिशा में फैसला लेने की तैयारी कर ली है. माना जा रहा है कि इस टाइम टेबल के अनुसार लंबी दूरी की ट्रेनें एक स्टेशन के बाद दूसरे स्टेशन के बीच 200 किमी के भीतर नहीं रुकेंगी, जब तक कि रास्ते में कोई बड़ा शहर न हो. यानी लंबी दूरी वाले सफर में रेलवे के दो स्टेशनों के बीच की दूसरी 200 किमी होगी, जब तक की बीच में कोई बड़ा शहर नहीं होगा.
आप यदि ध्यान से देखे तो अभी भी यही किया जा रहा है. दरअसल कोरोना में रेलवे ने नियमित ट्रेनों को ही स्पेशल बनाकर चलाया है और इन स्पेशल ट्रेनों के रूट और स्टेशन भी बदले जा रहे हैं. इसका खामियाजा यात्रियों को उठाना पड़ रहा है. रेलवे कभी भी इन ट्रेनों का रूट और स्टेशन बदल रहा है. इस वजह से ट्रेन अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही हैं. जिस स्टेशन पर यात्रियों को उतरना होता है, रूट बदलने से वह नहीं उतर पाते.
स्पेशल ट्रेनों में ऐसा किया जा सकता है. रेलवे नियम के मुताबिक नियमित ट्रेनों को चलाने के बाद इनमें किसी तरह का बदलाव करना आसान नहीं होता, जबकि स्पेशल ट्रेन में कभी भी किसी तरह का बदलाव किया जा सकता है. यही वजह है कि सभी नियमित ट्रेनों के नंबर में बदलाव कर उन्हें स्पेशल ट्रेन बना दिया गया है. इन ट्रेनों में यात्रियों को मिलने वाली बाकी सुविधाएं भी बंद कर दी गई है. सीनियर सिटीजन को किराए में छूट मिलती है, जो अब नहीं मिल रही. विकलांगों को और अधिमान्य पत्रकारों को ट्रेन के किराए में 50 फीसद तक छूट दी जाती थी, जो अब बंद है. विद्यार्थियों और खिलाड़ियों को किराए पर मिलने वाली छूट भी बंद कर दी गई है.
आखिरकार रेलवे स्पेशल ट्रेनो के नाम पर चल रही लूट कब बन्द करेगा ? रेगुलर ट्रेन कब चलाएगा इसका कोई जवाब नहीं मिल रहा.
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