पृथ्वी की दो महाशक्तियों की ये मित्रता पूरे विश्व की आर्थिक सेहत तय करने जा रही है. चूंकि नाटो के 32 देशों का भविष्य भी अब इन दो महाशक्तियों के हाथों में ही है इसलिए पुतिन यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए कुछ ऐसा करना चाहते हैं कि दुनिया सिर्फ और सिर्फ इन दो देशों के हंटर पर चले. जैसा कि रूसी सेना ने यूक्रेन के सभी महत्वपूर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया और राजधानी कीव अब इस समय रूसी सेना के लिए मुख्य लक्ष्य है.
शायद अगले एक दो हफ्ते में कीव फतह हो भी जाए लेकिन पुतिन के लिए कीव पर कब्जा इतना आसान नहीं है क्योंकि राजधानी कीव पर रूसी झंडा होने का मतलब नाटो का झंडा खत्म. इसलिए इस समय अमरीकी रक्षा मंत्री एक ओर जहां यूक्रेन में डेरा डाले हुए हैं वहीं दूसरी ओर पुतिन अपने मित्र शी जिनपिंग के बुलावे पर बीजिंग पहुंचकर नाटो को ये साफ चेतावनी देना चाहते हैं कि ‘हम कीव फतह के बाद तुम्हारी भी खबर लेने आ रहे हैं.’
दूसरी तरफ यूक्रेन को अरबों डालर की मदद के बाद नाटो अमरीका यूक्रेन में इसलिए हथियार देने से डर रहे हैं कि पुतिन ने विक्ट्री डे पर यूक्रेन में ‘कबाड़ कर चुके नाटो हथियारों की भव्य प्रदर्शनी’ लगाकर अमरीका को शर्मशार कर दिया है. जो अमरीका अभी तक अपने हथियारों के अभेद्य होने की डुगडुगी बजाते फिर रहा था उसके हथियारों को खरीदने से अब कई देशों ने हाथ पीछे खींच लिए हैं. फिर भी अब अमरीका के लिए युद्ध से पीछे हटने का मौका नहीं रह गया है और 32 नाटो देशों में से 14 देशों ने रूस से युद्ध न करने की बात कह डाली है.
इस समय पुतिन की सेना यूक्रेन में प्रलय मचाई हुई है. हर दिन तकरीबन 18 हजार यूक्रेनी सैनिक पुतिन कोप के शिकार हो रहे हैं. अगर पुतिन यूक्रेन कीव में राष्ट्रपति भवन को उड़ा देते हैं तो फिर पोलैंड ब्रिटेन जैसे देशों को निशाना बनाया जायेगा और ये काम पुतिन शी जिनपिंग, किमजोंग जैसे ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों की पूर्ण सहमति से ही करने वाले हैं.
युद्ध करने के बाद भी आर्थिक रूप से रुस इस समय दुनिया की सबसे ताकतवर आर्थिक स्थिति में है. रूसी सार्वजनिक क्षेत्रों में कर्मचारियों की भारी वेतन वृद्धि, रोजगार के लिए डिफेंस क्षेत्र में अनगिनत नौकरियां, नये विज्ञान अनुसंधान संस्थानों को भारी अनुदान बगैरह कदम ने पुतिन को रूस का सबसे बड़ा प्रिय नेता बना दिया है और उस पर रणक्षेत्र में पुतिन की अगुवाई में मनमाफिक जीत ने रूस को एकमात्र महाशक्ति होने का प्रमाण पत्र दे दिया है.
फिलहाल, पुतिन की बीजिंग यात्रा तीसरे विश्व युद्ध के ख़तरों को कम करने के मद्देनजर बताई जा रही है. खुफिया जानकारियों के अनुसार शी जिनपिंग को अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन फोन पर फोन करके पुतिन को मनाने की दारुण याचना कर रहे हैं और ये बात पुतिन को भी अच्छे से मालूम है कि उनकी बीजिंग यात्रा से अमरीका अपने लिए जीवन दान की कातर आस लगाए है. और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग भी ये जानते हैं कि पुतिन अब नाटो दहन से पहले पीछे नहीं लौटने वाले हैं.
उत्तर कोरिया, चीन, रूस, ईरान, बेलारूस सबका एक ही नजरिया है कि दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को सही मायने में तभी बचाया जा सकता है जब नाटो सरगना को नेस्तनाबूद कर दिया जाये और बीजिंग यात्रा पर संभवतः इसी का मुहूर्त निकालने पर सहमति बने. हालांकि पुतिन पिछले साल 17 – 18 अक्टूबर को चीन यात्रा किए थे लेकिन इस बार की बीजिंग यात्रा बहुत मायनों में से एक है.
ये अलग बात है चीनी रक्षा विभाग ने पुतिन की इस यात्रा को सौहार्द यात्रा कहा है लेकिन नाटो-अमरीका पुतिन की इस यात्रा को पैनी नजर से देख रहे हैं और नाटो-अमरीका यह अच्छे से जानते हैं कि पुतिन जो करते हैं उसका खुलासा पुतिन नहीं बल्कि उनकी सुपरसोनिक मिसाइलें करती हैं.
पिछले 24 घंटे में रूसी सेना ने 2700 यूक्रेनी सैनिकों को ढेर कर दिया है. यूक्रेन के खारकीव शहर में इस समय प्रलयकारी युद्ध मचा हुआ है. नाटो देशों का दोगलापन ये है कि जेलेंस्की को हथियार पहुंचाने में जानबूझकर देर की जा रही है. जेलेंस्की की नाराज़गी को कम करने के लिए नाटो देशों के सैन्य अधिकारी लुक-छिपकर जेलेंस्की को मनोबल बनाए रखने की कोरी नसीहत दे रहे हैं.
यूक्रेनी खुफिया एजेंसी ने एक चौंकाने वाली बात कर जेलेंस्की के गुस्से को और बेकाबू कर दिया है. खुफिया जानकारी के मुताबिक यूक्रेनी सेना द्वारा सरेंडर किए गए 2800 रूसी सैनिक दो दिन पहले 14 मई की सुबह अचानक गायब हो गए. ये सैनिक कहां गए, किसने इनको भगाने में मदद की इस पर पता करने के लिए यूक्रेनी पुलिस, फौज खाली हवा में हाथ पांव मार रहे हैं.
पोलैंड के एक कोस्टल अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि रूस के सभी 2800 सरेंडर सैनिक एक पर्यटक नाव से क्रीमिया भाग निकले हैं. इसे जेलेंस्की का सेना पर से कमजोर पकड़ व यूक्रेनी सैन्य विद्रोह के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि पश्चिमी मीडिया इस पर फिलहाल कुछ टिप्पणी नहीं करना चाह रही है.
जानकारों के अनुसार इस पर हो-हल्ला जेलेंस्की के नेतृत्व को और भी खराब बनायेगा. बहरहाल, पुतिन की दो दिवसीय चीन यात्रा से बीजिंग से मास्को तक उत्साह की नई उमंग देखने को मिल रही है. नाटो मुख्यालय ब्रुसेल्स के प्रवक्ता एडरिफ गोजा के मुताबिक –
‘नाटो युद्ध विस्तार के पक्ष में नहीं है लेकिन पुतिन किसी भी शांति प्रस्ताव को तवज्जो नहीं दे रहे हैं. यह चीज बताती है कि पुतिन को नाटो संगठन की बहुत बड़ी कमजोरी का राज मालूम है. यह कैसे हो सकता है कि इतने बड़े सैन्य संगठन को पुतिन जूती की नोक से मसल देने की बात करते हैं.’
- ए. के. ब्राईट
Read Also –
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]