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ख़रीदी हुई आवाज

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यह आवाज चौधरी जी,
आप की नहीं लगती
गोस्वामी जी, यह तो वही आवाज है
जो दिल्ली दरबार रोज
सुबह शाम बखान करता है
उसके पास ऐसी ख़रीदी आवाजों का बड़ा ज़ख़ीरा है

हां, वह एक अच्छा ख़रीदार है
बस चीज़ें बिकनी हैं
चीज़ें पसंद की हों
ऐसी बिकाऊ
पसंद आई भड़काऊ चीज़ों का
वह अच्छा दाम लगाता है

आप ख़ुशक़िस्मत हैं
आप की चीज उसे पसंद आई
आपको आप की चीज़ों का
अच्छा दाम मिला
जब अच्छा दाम मिले तो सौदागर
हिंदू हो या कि मुसलमान-यहूदी-नसरानी
काला, गोरा या कोई लाल पीला मंगोल
अस्ल मतलब मिलनेवाला लाभकारी दाम से है

कश्यप जी, आप ठीक कह रहे हैं –
जब आम ही खाना है
तो गाछ गिनने का क्या फायदा

  • राम प्रसाद यादव
    विशाखपट्टणम

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