आज उत्तर प्रदेश के चंदौली में लोगों ने वन विभाग के सहयोग से सरकार द्वारा लोगों को उनके जमीन से बेदखल करने के खिलाफ हजारों लोगों ने प्रशासन के समक्ष विरोध प्रदर्शन करते हुए आक्रोश जाहिर किया. इस प्रदर्शन का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के मेहनतकश मुक्ति मोर्चा ने किया. इस प्रदर्शन में लोगों ने 7 सूत्री मांगों को जारी करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम से एक स्मारिका जारी किया.
मेहनतकश मुक्ति मोर्चा, चंदौली, उत्तर प्रदेश के सचिव कन्हैया की ओर से जारी इस स्मारिका में बताया गया कि गत 29 जनवरी 2023 को चकिया तहसील से मात्र 10 किलोमीटर दूर पीढ़ियों से बसे व खेती-किसानी कर रहे मुसाहीपुर, रामपुर, केवलाखाड़ कोठी आदि गांवों की जनता की करीब 80 एकड़ जमीन पर वन विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से जनता के तमाम विरोध के बावजूद खाई खोद दी गयी.
वहीं चकिया तहसील के ही चकरा गांव में कल दिनांक 9 अप्रैल 2023 को वन विभाग ने पुलिस प्रशासन के सहयोग से लोगों की कृषि जमीन पर कब्जा जमाने के लिए खाई खोदने का प्रयास किया. जनता द्वारा हुए तीखे प्रतिरोध की वजह से वन विभाग व प्रशासन को वापस जाना पड़ा. जनता के अंदर दहशत पैदा करने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों ने एक झोपड़ी में आग भी लगा दिया और उल्टे आग लगाने के आरोप में दो ग्रामीणों को ही पुलिस गिरफ्तार करके ले गई और उनपर फर्जी मुकदमा थोपकर चालान कर दिया.
चकिया तहसील के वन क्षेत्र में कई पीढ़ियों से हजारों वनवासी व किसान परिवार रहते आ रहे हैं. दर्जनों गांवों में वन विभाग व सरकार ने लोगों के पट्टे निरस्त कर दिए हैं. वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा आये दिन उन्हें उनके गांव व खेती की जमीन से बेदखल करने की धमकी दी जाती है. मुसाहीपुर, केवलाखाड़ कोठी, रामपुर में हुई 29 जनवरी की घटना व कल दिनांक 9 अप्रैल की घटना से पूरे वनक्षेत्र की जनता में काफी आक्रोश है.
जनता का स्पष्ट मानना है कि जंगल, पहाड़, वन्य जीवों, पर्यावरण आदि को उनसे कोई खतरा नहीं है. जंगल-पहाड़-वन्य जीवों व पर्यावरण को वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों, सरकार, देशी-विदेशी लुटेरी कंपनियों व ठेकेदारों से खतरा है. वन विभाग व सरकार की मिली भगत से अहरौरा, नौगढ़ आदि के दर्जनों पहाड़ व हजारों एकड़ जंगल तबाह हो गए. क्रेसर प्लांट व लकड़ी कटाई का प्लांट लगाकर, पहाड़ों को तोड़कर व जंगलों को काटकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक पत्थर, गिट्टी व लकड़ी बाहर भेजा जा रहा है. यह सब वन विभाग व सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों व अधिकारियों की मिलीभगत से कंपनियों व ठेकेदारों के लूट और मुनाफे के लिए होता है.
हम चकिया वन क्षेत्र के लोग पीढ़ियों से यहां रहते व खेती करते आ रहे हैं. पूरे देश में एक बहुत बड़ी आदिवासी व गैर आदिवासी आबादी वन क्षेत्रों में निवास करती है. एक आंकड़े के मुताबिक 1951 से अब तक 4.5 करोड़ एकड़ जमीन सरकार व उसके तमाम विभागों द्वारा जबरदस्ती कब्जा कर 6 करोड़ लोगों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा चुका है. इतनी विशाल विस्थापित आबादी में से 10 प्रतिशत का भी पुनर्वास आज तक नहीं हो सका है.
हमारा यह स्पष्ट मानना है कि वन्य जीव व जंगलों को बचाना तो बहाना है, जिन्हें इंसानों की चिंता नहीं है उन्हें वन्य जीवों व जंगलों की कितनी चिंता हो सकती है. देश के तमाम राज्यों में सरकार व वन विभाग खुद खनन व अन्य लुटेरी परियोजनाओं के लिए जल-जंगल-जमीन को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले कर रही है, जिसका देश के अलग-अलग हिस्सों में जनता व बुद्धिजीवियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है. चकिया तहसील के वन क्षेत्रों में पीढ़ियों से रहती व खेती करती आ रही मेहनतकश जनता आपसे यह अपील करती है कि –
- वन विभाग की मनमानी पर तत्काल सख्त पाबंदी लगाई जाए.
- वन विभाग द्वारा मेहनतकश किसानों की छीनी गई समस्त जमीन को तत्काल वापस किया जाए.
- गत 29 जनवरी 2023 को वन विभाग द्वारा जबरदस्ती छीनी गयी रामपुर, मुसाहीपुर, केवलाखाड़ कोठी के वनवासी व मेहनतकश किसानों की करीब 80 एकड़ जमीन को तत्काल वापस किया जाए.
- चकरा के दो ग्रामीणों पर कल 9 अप्रैल को पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाये गए फर्जी मुकदमे तत्काल वापस लिए जाएं.
- वन विभाग के उन कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए जिन्होंने चकरा के ग्रामीणों के अंदर दहशत पैदा करने के लिए उनकी झोपड़ी में आग लगाई.
- वनाधिकार कानून में जन पक्षधर बदलाव करते हुए वन क्षेत्र की खेती व आवासीय जमीन को तहसील विभाग में शामिल कर सभी वनवासियों व मेहनतकश किसानों को घरौनी व खतौनी दिया जाए ताकि वो निश्चिन्त होकर अपना जीवन यापन कर सकें.
- वन विभाग, वन क्षेत्र की जनता को पुलिस फोर्स के दम पर धमकी देना व उनकी जमीन छीनना बंद करे. पुलिस फ़ोर्स का इस्तेमाल कर वनवासी व मेहनतकश किसानों को डराना-धमकाना तत्काल बंद किया जाए.
लोगों ने तय किया है कि वह मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में अपने जल-जंगल-जमीन की मांग को लेकर हर स्तर पर अपनी लड़ाई जीत होने तक जारी रखेंगे.
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