Home कविताएं प्रलाप

प्रलाप

0 second read
0
0
440

किशोरी
तुम्हारी गाल पर उगे मुंंहासे
नव ग्रह हैं
या अंधकार की असीम कोख में पलते सितारे
तुम्हें कभी नहीं पता चलेगा

प्रमथ्यु ने आग को उसके झोंटे से पकड़ कर
जिस दिन पृथ्वी पर लाया
आदमी ने उसी दिन देखा
पहला पुच्छल तारा
और, अनिष्ट की संभावनाओं से जन्म लिया ईश्वर

लाजरस
तुम्हारा आना
इसी क्रम का व्यतिक्रम था
या और कुछ
किशोरी को नहीं पता

मैं एक दाने के गर्भ में समाया हुआ बीज हूंं
जीवन की संभावनाओं का दारोमदार
अब एक मलिन ऐश्वर्य है
मिट्टी के घरौंदों का
जिसे देख कर
पनियाती हैं आंंखें
जब तक खुली हैं
या हैं

तुमने कहा था
मुहांसों के अंतर से
पीब सा निकलूंंगी मैं
और मैंने विश्वास कर लिया था
मेरी अगली यात्रा
हरित भूमी पर सपाट
लुढ़क कर
एक गोल्फ होल की तरफ़
अनर्थक यात्रा होगी

कंकाल की आंंखों के खोह-सा
वही गह्वर
कालातीत हो कर भी
मुझे समाहृत करने की शक्ति रखता है
चिता की कोख से उठते वैराग्य की तरह
किसे मालूम

जो कुछ मैं लिख रहा हूंं
जो कुछ मैं सोच रहा हूंं
प्रतिध्वनि है
हरी पहाड़ियों के नीले वैभव की

अदिति
तुम्हारे शहर के होंठों पर
मचलते सागर सा हूँ
छलकता, लेकिन सीमाबद्ध

मुझे मालूम है
यह मेरी भाषा नहीं है
जैसे
लाजरस की भी कोई भाषा नहीं थी
( तुम सुन रहे हो लाजरस!
तुम्हारा बस एक वायवीय अस्तित्व था
जो ज़िंदा है अब तक अश्वत्थामा बनकर)

प्रेम की परिभाषा सिकुड़ते हुए
जब एक मुंंहासे पर केंद्रित होता है
जन्म लेती है अदिति
और, मर जाता हूंं मैं

मुझसे मृत्यु का अभिप्राय मत पूंंछों
मैं रोज़ मरता हूंं तुम्हारे अंदर
जब तुम जीते हो अपने को.

  • सुब्रतो चटर्जी

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…