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प्रह्लाद

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प्रह्लाद
तुम्हारा नहीं
उसका है

बेटा तुम्हारा
तुम्हारे
नाम भर का है

वह न तुम्हारा
न तुम्हारे हित का रहा
पूरी तरह अब
वह उसके हित साधनमें है
पूरी तरह
उसके छलावे में है

अफ़ीम की उसने
कुछ ऐसी मस्करी
गोली खिलायी है
कि वह भूल गया है
बाप बेटे के बीच का रिश्ता

तुम्हारा दुश्मन
अब उसका ख़ास अपना है
सलाह मशविरा
तुम से नहीं
उससे करता है

वह तुम्हारा ख़ास
अब तुम्हारा ख़ास नहीं
उसका ख़ास है

उसने कुछ ऐसा खेल खेला है
कि राज पाट ही नहीं
जान माल भी छीना
तुम्हारा घर परिवार भी फोड़ा है

वह कोई साधारण वैष्णव नहीं है
जो दिखता है,
वह है नहीं
जो कहता है
ठीक विपरीत करता है
वह हिंसक अहिंसावादी
तीर धनुष,
बंदूक़ भाले से ही नहीं लड़ता
वह अपने वैचारिक नाखून से
सीना चीर देता है

और आदमी को आदमी नहीं
एक ग़ुलाम रोबोट बना देता है
और जैसा चाहता है
इशारे पर नचाता है

तुम आज भी झूठे दर्प के
ख़ुशफ़हम नशे में हो
तुम उसके लिए देहधारी आदमी नहीं
तुम उसके वर्णाश्रम में
उसके इस्तेमाल में आने वाले
एक औज़ार से ज़्यादा कुछ नहीं हो
तुम कोई जीव नहीं पशु समान निर्जीव
उसकी फ़ैक्ट्री के कच्चे माल हो

यह फ़ैक्ट्री भी तुम्हारी नहीं
तुम्हारे हत्यारे की है
जहां लाखों नियोजित प्रह्लाद
आज उसके उत्पाद के कच्चे माल बने हुए हैं

अब जो उत्पाद तैयार होता है
तुम्हारी मर्ज़ी से नहीं
उस फ़ैक्ट्री मालिक की मर्ज़ी से तैयार होता है

मालिक चौकीदार बनाये
कि काँवर वाला
जुलूस में शामिल
बरछा भाला चमकाने वाला
कि आगज़नी करवाये
गोली चलवाये चलती ट्रेन में
सब मालिक की मर्ज़ी पर है
तुम कच्चा माल हो
बस एक कच्चा माल!

क़सूर तो अपना है
कि अपनों को
उस हत्यारे की फ़ैक्ट्री के
कच्चा माल बनने से नहीं रोके
इधर उधर बिखरे
अपने अपने कुनबों में बंटे
तुम अब भी
उसके कच्चे माल बनने के
बेशर्म समर्थन में हो

होलिका दहन करो
या होली खेलो, तुम
अपनी हार का बस मुहर्रम मना सकते हो
छाती पीट पीट चाहे अपने आप को
जितना लहू लोहान कर लो
तुम पढ़ा अनपढ़ा जो हो
उसके भेड़ चाल के जाल में हो
तुम आज भी एक आज़ाद देश में
उसके एक मानसिक ग़ुलाम हो
उसके फेंके जूठन पर
आपस में लड़ मरने वाले
तुच्छ श्वान समूह से ज़्यादा तुम कुछ नहीं हो

  • राम प्रसाद यादव

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