Home गेस्ट ब्लॉग कोयले के संकट से एक बार फिर बिजली पर आफत

कोयले के संकट से एक बार फिर बिजली पर आफत

0 second read
0
0
167
girish malviyaगिरीश मालवीय

देश के गांव कस्बों में इस वक्त जमकर बिजली कटौती हो रही है. कई जगहों पर तो आठ से बारह घंटे तक कटौती की जा रही है. कल खबर आई है कि मध्य प्रदेश में पॉवर प्लांट में मात्र तीन से चार दिन का कोयला बचा है. आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में फिलहाल 2 लाख 72 हज़ार टन कोयला बचा हुआ है, जिसके हिसाब से मध्यप्रदेश में सिर्फ 3 से 4 दिनों तक के लिए ही बिजली उत्पादन हो सकता है.

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कोयले के स्टॉक को लेकर बहुत बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 7 दिनों का ही कोयला बच गया है. इसी तरह से हरियाणा में 8 दिनों का कोयला है, तो राजस्थान में महज 17 दिनों के लायक ही कोयले का स्टॉक बचा हुआ है. जबकि, थर्मल पावर प्लांट में 26 दिनों के लायक कोयले का स्टॉक रखने का प्रावधान है. हालात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु,पंजाब, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में भी अच्छे नहीं हैं.

दरअसल देश भर के पॉवर प्लांट को कोयले की आपूर्ति में दिवाली के पहले से ही गिरावट आ रही थी, उस वक्त इस बात पर खूब हल्ला भी मचा था लेकिन तब जैसे-तैसे मालगाड़ी के फेरे बढ़ाकर और यात्री ट्रेनों को रोककर कोयले की भरी वेगन को रास्ता देकर स्थिति को किसी तरह से संभाला गया. एक बात और है उस वक्त करोना की वजह से ट्रेन संचालन भी कम हो रहा था इसलिए सब मैनेज हो गया किंतु अब समस्या विकट है.

कोयले का संकट ऐसे वक्त पर खड़ा हुआ हैं, जब देश में बढ़ती गर्मी और आर्थिक गतिविधियों के तेज़ी से बढ़ने से ही बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है.  ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिजली की डिमांड बढ़ने से पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में बिजली की कटौती शुरू हो गई है.

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 19 अप्रैल, 2022 तक देश के करीब 30% थर्मल पावर प्लांट्स के पास 10% या उससे भी कम कोयला का स्टॉक बचा था. इसकी वजह से देश कई हिस्सों में डिमांड बढ़ने की वजह से पावर सप्लाई पर बुरा असर पड़ रहा है. देश में कोयला संकट गहराता जा रहा है. पावर की डिमांड बढ़ती जा रही है लेकिन कोयले की कमी की वजह सेबिजली का प्रोडक्शन बाधित हो रहा है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिजली की डिमांड बढ़ने से पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में बिजली की कटौती शुरू हो गई है. वैसे गर्मियों में कोयले की कमी कोई नई बात नहीं है. ऐसा लंबे समय से चला आ रहा है लेकिन इस बार इसका मुख्य कारण कोल इंडिया की उत्पादन बढ़ाने में असमर्थता और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर है.

बारिश में कोयला खदान में पानी भर जाता है इसलिए मानसून के सीजन से पहले कोयले का स्टॉक जमा किया जाता है, लेकिन इस बार भारी डिमांड के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसका अर्थ साफ़ है कि इस बार बिजली का असली संकट बारिश के मौसम में नजर आएगा.

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…